आपने कभी सुना है कि आभूषणों में माइक्रोफोन या यूएसबी ड्राइव लगे हों? या फिर गहनों में चिकित्सकीय पत्थर (स्टोन) गढ़े हों? नहीं न, लेकिन अब आभूषण निर्माता कुछ ऐसा ही कर रहे हैं।
यानी अब गहने भी हो जाएंगे हाईटेक। दरअसल, गहनों के साथ इस तरह के नए-नए प्रयोग करना उनकी मजबूरी भी बन गई है, क्योंकि कार और मोबाइल फोन जैसे लाइफस्टाइल उत्पाद आभूषण निर्माताओं को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। साथ ही सोना-चांदी और हीरा के दाम में तेजी इस आग में घी का काम कर रहे हैं।
बाजार की मांग और लोगों की पसंद को ध्यान में रखकर नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी) के छात्र परंपरागत आभूषण की डिजाइन में फेर-बदल कर, उसमें कुछ उपयोगी चीजों का भी समावेश कर रहे हैं, ताकि लोगों को आकर्षित किया जा सके।
सच तो यह है कि पिछले पांच साल के दौरान भारतीयों की जीवनशैली में व्यापक बदलाव आया है। यही नहीं, एशो-आराम की वस्तुओं पर भारतीय पहले से कहीं ज्यादा खर्च कर रहे हैं। हालांकि इस दौरान गहनों की खरीदारी के प्रति लोगों का रुझान घटा है, जिससे आभूषण निर्माता खासे चिंतित नजर आ रहे हैं।
एक समय ऐसा था जब सोना-चांदी भारतीयों की पहली पसंद हुआ करता था। यही नहीं, लोग इसमें बढ़-चढ़कर निवेश भी कर रहे थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है और लोग अन्य एशो-आराम की वस्तुओं पर गहनों से कहीं ज्यादा खर्च कर रहे हैं। एनआईडी के लाइफस्टाइल एसेसरीज डिजाइन में स्नातक प्रोग्राम के संयोजक प्रो. शिमुल व्यास ने कहा कि अगर आभूषणों को बाजार में टिके रहना है, तो उसमें नए-नए प्रयोग करना ही होगा।
इसी के तहत हमने अपने छात्रों को गहनों में कुछ अतिरिक्त फीचर्स जोड़ने की बात कही है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो मोबाइल और कार जैसे लाइफस्टाइल उत्पाद के सामने गहने टिक नहीं पाएंगे।यही वजह है कि एक छात्र ने सोने के गहनों में माइक्रोफोन जड़ा है, तो दूसरे ने उसमें यूएसबी ड्राइव लगाया है।
यानी लोग उन्हें केवल शौकिया तौर पर नहीं खरीदेंगे, बल्कि उसकी अन्य कामों में जरूरत भी होगी। व्यास ने बताया कि कुछ समय पहले तक सोना को निवेश का अच्छा साधन माना जाता था, लेकिन अब इस सोच में बदलाव लाने का वक्त आ गया है, क्योंकि लोगों का रूझान सोना और अन्य कीमती धातुओं की ओर कम हुआ है।
एनआईडी के छात्र भारत की संस्कृति और मान्यताओं को ध्यान में रखकर भी गहनों के साथ प्रयोग कर रहे हैं और उसमें तरह-तरह के ग्रह-नक्षत्रों से वाले पत्थर जड़ रहे हैं, जिससे लोग गहनों में समाहित दूसरे फीचर्स की ओर भी आकर्षित हों। दीया वेंट ज्वेलरी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हेमंत शाह ने कहा कि लंबे समय से गहनों में कोई खास प्रयोग नहीं किए जा रहे हैं, लेकिन अब वक्त बदल चुका है और आभूषण निर्माताओं को यह बात समझ में आ रही है कि गहनों में नए-नए प्रयोग जरूरी हैं।
गहनों में किए जा रहे इस तरह के प्रयोग के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि इससे विदेशी बाजार और उपभोक्ता भारतीय गहनों से दूर जा सकते हैं। रोजी ब्ल्यू (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रसेल मेहता का कहना है कि अभी इस बारे में और अध्ययन करना होगा कि क्या सचमुच भारतीय उपभोक्ता सोना में निवेश करने से हिचक रहे हैं या फिर वे गहनों की अपेक्षा अन्य लाइफस्टाइल उत्पादों को तरजीह दे रहे हैं।