विदेशी दूरसंचार ऑपरेटरों ने कहा है कि इसके पहले कि वे आगामी 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए बोलियां लगाएं, सरकार को दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में बदलाव लाने की जरूरत होगी।
बीते बुधवार को केंद्रीय संचार मंत्री ए राजा ने उम्मीद जताई थी कि 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियां भी हिस्सा लेंगी। उनके इस बयान के बाद ही विदेशी ऑपरेटरों ने यह विचार व्यक्त किया है।
दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने स्पष्ट किया है कि 3जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली में विदेशी दूरसंचार कंपनियां भी हिस्सा ले सकती हैं, बशर्ते कि अगर वे जीतती हैं तो उन्हें यह लिखित में बताना पड़ेगा कि उन्हें विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) और सुरक्षा एजेंसियों से स्वीकृति मिल जाएगी। इसके साथ ही कारोबारी परिचालन शुरू करने से पहले उन्हें यूएएसएल से लाइसेंस भी लेना पड़ेगा।
एक विदेशी दूरसंचार कंपनी के अधिकारी ने बताया, ‘एफआईपीबी से मंजूरी पाए बिना हम बोली कैसे लगा सकते हैं जिसमें कहा गया है कि हम 74 फीसदी तक कि हिस्सेदारी ले सकते हैं। नीलामी में हिस्सेदारी तब ही संभव है अगर सरकार 2007 के प्रेस नोट 3 में संशोधन करती है या फिर यह छूट देती है कि एफआईपीबी की स्वीकृति के बिना भी बोली लगाई जा सकती है।’
वहीं दूसरे ऑपरेटरों ने भी यही मुद्दा उठाया है कि अगर विदेशी कंपनी नीलामी जीत जाती है और उसके बाद एफआईपीबी कंपनी का आवेदन खारिज कर देता है तो फिर ऐसे में क्या होगा। एफआईपीबी से मंजूरी नहीं मिलने पर बोली के लिए जमा की गई रकम क्या कंपनियों को वापस कर दी जाएगी ?
विदेशी कंपनियों ने यह भी कहा है कि नए विदेशी खिलाड़ियों को यूएएसएल लाइसेंस लेना अनिवार्य बनाकर राजा ने घरेलू कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने की कोशिश की है।