जम्मू कश्मीर के बाद अब राजस्थान से खुशखबरी आ रही है। राजस्थान के सरकारी अधिकारियों की मानें तो प्रदेश में लीथियम भंडार मिला है। कहा जा रहा है कि यह भंडार जम्मू-कश्मीर में पाए गए भंडार से भी बड़ा है। यह धातु राजस्थान के डेगाना (नागौर) में मिली है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और खनन अधिकारियों का दावा है कि यहां मिले लिथियम भंडार की क्षमता हाल ही में जम्मू-कश्मीर में मिले लिथियम भंडार से ज्यादा है।
दावा किया गया है कि यहां इतना लिथियम है कि भारत की कुल मांग का 80 फीसदी यहीं से पूरा किया जा सकता है। लीथियम के लिए अभी तक भारत चीन पर निर्भर है। अब माना जा रहा है कि चीन का एकाधिकार खत्म होगा और खाड़ी देशों की तरह राजस्थान का भी भाग्य उदय होगा।
लिथियम एक अलौह धातु है, जिसका उपयोग मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। लिथियम के लिए भारत पूरी तरह विदेशों पर निर्भर है, जहां उसे महंगे दामों में इस धातु को खरीदना पड़ता है। अब GSI को डेगाना के आसपास लिथियम का बड़ा भंडार मिला है।
राजस्थान में लिथियम के भंडार डेगाना और उसके आसपास के क्षेत्र की उसी रेनवेट पहाड़ी में पाए गए हैं, जहां से कभी टंगस्टन खनिज की सप्लाई देश में की जाती थी। ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने डेगाना में रेनवाट की पहाड़ी पर साल 1914 में टंगस्टन खनिज की खोज की थी।
आजादी से पहले, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यहां उत्पादित टंगस्टन का उपयोग ब्रिटिश सेना के लिए युद्ध सामग्री (war material) बनाने के लिए किया जाता था। आजादी के बाद देश में ऊर्जा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सर्जिकल उपकरण बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाने लगा। उस समय यहां करीब 1500 लोग काम करते थे।
साल 1992-93 में चीन ने भारत में सस्ता टंगस्टन भेजना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से यहां से निकलने वाला टंगस्टन लोगों को महंगा लगने लगा। आखिरकार यहां टंगस्टन का उत्पादन बंद कर दिया गया। हर समय आबाद रहने वाली यह पहाड़ी सालों तक टंगस्टन की सप्लाई कर देश के विकास में योगदान देती रही लेकिन चीन के सस्ते टंगस्टन ने उसे एक ही झटके में वीरान कर दिया था।
उस समय के दौरान, GSI और अन्य सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा बनाए गए दफ्तर, घर, बगीचे और यहां तक कि स्कूल भी खंडहर में बदल गए थे। अधिकारियों ने कहा है कि अब इस पहाड़ी से निकलने वाला लिथियम राजस्थान और देश का भाग्य बदलेगा।
लिथियम दुनिया की सबसे हल्की धातु है, जिसकी जरूरत बैटरी से चलने वाली हर डिवाइस को होती है।
लिथियम दुनिया की सबसे नर्म और हल्की धातु भी है। यह इतनी नरम होती है कि कोई भी इसे सब्जी के चाकू से काट ले और हल्की इतनी की पानी में रख दो तो तैरने लगे। यह रासायनिक ऊर्जा को स्टोर करती है और इसे विद्युत ऊर्जा में बदलती है।
लिथियम आज घर में हर चार्जेबल इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले गैजेट में मौजूद है। इसी वजह से दुनिया भर में लिथियम की जबरदस्त डिमांड है। वैश्विक मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है। एक टन लीथियम की वैश्विक कीमत करीब 57.36 लाख रुपये है।
पूरे विश्व में ऊर्जा परिवर्तन हो रहा है। हर देश ईंधन ऊर्जा से हरित ऊर्जा की ओर तेजी से बढ़ रहा है। हवाई जहाज से लेकर विंड टर्बाइन, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल, मोबाइल और घर में हर छोटे-बड़े चार्जेबल डिवाइस में लिथियम का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम धातु की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस दृष्टि से राजस्थान में लिथियम का अपार भण्डार प्राप्त होना न केवल प्रदेश के लिए बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद फायदेमंद है।
21 मिलियन टन का दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार वर्तमान में बोलिविया देश में है। इसके बाद अर्जेंटीना, चिली और अमेरिका में भी बड़े भंडार हैं। इसके बावजूद, चीन, जिसके पास 5.1 मिलियन टन लिथियम का भंडार है। लीथियम का वैश्विक बाजार में एकाधिकार बनाए हुए है।
भारत को भी अपने कुल लिथियम आयात का 53.76 फीसदी हिस्सा चीन से खरीदना पड़ता है। वर्ष 2020-21 में भारत ने 6,000 करोड़ रुपये से अधिक कीमत के लिथियम का आयात किया था और इसमें से 3,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का लिथियम चीन से खरीदा गया था।
ऐसे में अधिकारियों का मानना है कि राजस्थान में लिथियम का इतना अधिक भंडार है कि चीन का एकाधिकार पूरी तरह खत्म हो सकता है और देश हरित ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है। राजस्थान में लिथियम के भंडार मिलने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।
केंद्र सरकार के निर्देश पर हाई ग्रेड के टंगस्टन खनिजों की खोज के लिए जीएसआई की सर्वे टीम डेगाना पहुंची थी। इसी बीच GSI की सर्वे टीम ने इस क्षेत्र में लिथियम के भंडार का पता लगाया।
29 मार्च 2023 को संसद में नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय खनन एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया था कि राजस्थान के डेगाना में रेनवाट पहाड़ी और उसके आसपास के क्षेत्र में हाई ग्रेड टंगस्टन क्वालिटी की खोज के लिए GSI द्वारा सर्वेक्षण किया जा रहा है।
अब तक के संकेतों में GSI सर्वे टीम ने G2 चरण के सर्वे में उच्च गुणवत्ता वाले टंगस्टन के साथ-साथ लिथियम और 4 अन्य खनिजों के भंडार पाए हैं। अधिकारियों ने पुष्टि की कि जीएसआई सर्वेक्षण दल द्वारा टंगस्टन की खोज के दौरान डेगाना के पास लिथियम पाया गया है।
बाड़मेर, जैसलमेर समेत कुछ अन्य जगहों पर लिथियम के जमा होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि सर्वे टीम लीथियम की खोज में तेजी ला रही है। ताकि जल्द से जल्द यहां जी2 स्टेज की खोज कर खनन के लिए नीलामी की जा सके।