हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की जीत से उत्साहित और आत्मविश्वास से भरे राजीव शुक्ला ने भविष्यवाणी की है कि कांग्रेस का अगले सभी चुनावों में उभार होगा।
कांग्रेस सांसद शुक्ला को वर्ष 2022 के हिमाचल प्रदेश चुनाव में पार्टी प्रभारी बनाकर भेजा गया था जहां कांग्रेस चुनाव जीत गई और पार्टी ने सरकार बना ली।
शुक्ला ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम कर्नाटक (विधानसभा चुनाव) जीतेंगे, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भी हमें सफलता मिलेगी और मध्य प्रदेश में अच्छी संभावनाओं के साथ हम चुनाव जीतेंगे। इसके बाद हम हरियाणा में भी जीत हासिल करेंगे।’
शुक्ला का भरोसा उन असंख्य संकेतों में है जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लोकप्रियता में कमी आने की ओर इशारा करते हैं। उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कांग्रेस 2024 की चुनौती के लिए खुद को आंतरिक रूप से तैयार कर रही है। तैयारी का एक पहलू संगठन को मजबूत बनाना और दूसरा उन विचारों को उभारना है जिन पर पार्टी विश्वास करती है।
नवंबर में कांग्रेस कार्यबल की एक बैठक नई दिल्ली के 15 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड पर हुई जिसे पार्टी का हर सदस्य अपना वॉर रूम कहता है। इस कार्यबल का गठन अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी ने राजस्थान के उदयपुर में पार्टी के तीन दिवसीय बड़े सम्मेलन से ठीक पहले किया था।
सोनिया ने 2024 के राष्ट्रीय चुनावों से पहले ‘राजनीतिक चुनौतियों’ से निपटने के लिए ही एक ‘सशक्त कार्यसमूह’ की घोषणा की थी। हालांकि, पार्टी अध्यक्ष के चुनावों की वजह से आखिरकार नवंबर में मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में कार्यबल की पहली बैठक हुई।
जहां तक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का संबंध है तो उदयपुर के चिंतन शिविर में ही इसका विचार दिया गया था। लेकिन इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी ने पिछले हफ्ते ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ नाम के एक नए सार्वजनिक जनसंपर्क कार्यक्रम की घोषणा की जिसकी शुरुआत गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई। इस राष्ट्रव्यापी अभियान का मकसद 2024 के संसदीय चुनावों से पहले मौजूदा सरकार के कथित कुशासन को उजागर करना है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और जयराम रमेश ने कहा कि नया अभियान पूरी तरह से राजनीतिक अभियान होगा जबकि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में सामूहिक मंच के माध्यम से बुनियादी मुद्दों को उठाया गया था।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, भारत के इस सबसे लंबे पैदल मार्च का प्रमुख चेहरा थे जबकि ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान की जमीनी शुरुआत पार्टी की राज्य इकाइयों के माध्यम से शुरू की जाएगी।
पार्टी समय-समय पर आरोप पत्र जारी करेगी जैसा कि उसने 2004 के आम चुनाव से पहले वर्ष 2003 में किया था और जिसकी वजह से कांग्रेस सत्ता में वापस आई थी। आरोप पत्र में रोजमर्रा की आजीविका के मुद्दे भी उठाए जाएंगे।
वेणुगोपाल ने इसकी मिसाल देते हुए कहा, ‘इस देश में 35 लाख नौकरियां चली गई हैं। मई 2014 में पेट्रोल की कीमत 71.41 रुपये, डीजल की कीमत 55.49 रुपये और कच्चे तेल की कीमत 105.71 डॉलर प्रति बैरल थी। जनवरी 2023 में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये थी। अब यह फिर से बढ़ गया है। रसोई गैस, पेट्रोल और डीजल की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं। किसान बहुत मुश्किल स्थिति में हैं। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सभी किसान राहुल के पास आए और उन्होंने शिकायत की कि वे पेट्रोल और डीजल की मौजूदा कीमतों पर इसे खरीदने की स्थिति में नहीं हैं।’
‘हाथ से हाथ जोड़ो’ यात्रा के दौरान इस और अन्य रोजी-रोटी के मुद्दे पर खुले तौर पर राजनीतिक तरीके से बात की जाएगी। लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए, पार्टी की राज्य इकाइयों को फिर से मजबूत बनाने की आवश्यकता है। यह निश्चित रूप से एक कठिन काम है, हालांकि पार्टी इसके लिए तैयार दिख रही है।
पार्टी का महाधिवेशन 24 से 26 फरवरी तक रायपुर में होगा, जहां बड़े पैमाने पर संगठनात्मक बदलाव से जुड़े फैसले किए जाने की उम्मीद है। सत्र में यह तय किया जाएगा कि कांग्रेस कार्य समिति और केंद्रीय चुनाव आयोग जैसे प्रमुख पार्टी निकायों का गठन चुनावों के माध्यम से किया जाना चाहिए या पार्टी अध्यक्ष के मनोनयन से किया जाए क्योंकि ऐसी परंपरा भी रही है।
पार्टी के भीतर चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं और इसमें आंतरिक स्तर पर थोड़ी हलचल भी है लेकिन राहुल और सोनिया के पर्दे के पीछे से अपनी भूमिका निभाने का फैसला करने के साथ ही, पार्टी में उनके आलोचकों के पास आलोचना करने के लिए कोई एक भी मुद्दा नहीं बचा है। इस बीच, कर्नाटक की तरह ही जो राज्य इकाइयां सत्ता में वापसी करने की संभावना देख रहीं हैं वे नए बदलाव पर खासा जोर दे रही हैं।
उदाहरण के तौर पर मैसूर में पार्टी की जिला इकाई ने पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ की शुरुआत करते हुए पार्टी के ढांचे में पूरी तरह से बदलाव किया है। मैसूर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बी जे विजयकुमार ने कन्नड़ मीडिया को बताया कि पार्टी ने विभिन्न इकाइयों के कामकाज का जायजा लिया और पाया कि कई के सक्रिय कार्यकारी अध्यक्ष नहीं थे और कई वर्षों से निष्क्रिय थे।
खरगे ने पार्टी को दिए अपने नए साल के संदेश में कहा, ‘यह वह साल साबित होना चाहिए जब हम हर भारतीय, विशेष रूप से सबसे कमजोर की आवाज उठाने के लिए कड़ी मेहनत करें। अपने संविधान और लोकतांत्रिक लोकाचार को बचाने की जिम्मेदारी हम पर है। हर भारतीय को यह महसूस करना चाहिए कि कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील और उदार भारत के उनके सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने का माध्यम और साधन है।’
क्या इसे पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी के पुनरुद्धार के आह्वान के रूप में देखा जाएगा? या यह कांग्रेस अध्यक्ष के मशहूर अंतिम शब्द बनकर न रह जाए? इस चुनौती पर पूर्ण सम्मेलन में बात की जाएगी। वर्ष 2024 के चुनाव पर चर्चा भी लाजिमी है।