भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को सॉवरिन ग्रीन ब्रॉन्ड की अब तक की सबसे पहली बिक्री का सांकेतिक कैलेंडर अधिसूचित कर दिया और मौजूदा वित्त वर्ष में कुल मिलाकर 16,000 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां जारी किए जाने का अनुमान है।
सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड की पहली नीलामी 8,000 करोड़ रुपये की होगी, जो 25 जनवरी को होगी। इसमें 4,000 करोड़ रुपये के 5 साल वाले सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड होंगे जबकि 10 साल वाले 4,000 करोड़ रुपये के सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड।
इसके बाद अगली नीलामी की तारीख 9 फरवरी तय की गई है और तब 8,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी होंगे। इसमें 5 साल वाले 4,000 करोड़ रुपये के सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड होंगे जबकि 10 साल वाले 4,000 करोड़ रुपये के सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड होंगे। आरबीआई ने यह जानकारी दी।
सरकार का उधारी प्रबंधक आरबीआई सामान्य तौर पर शुक्रवार को तय अंतराल पर सरकारी बॉन्डों की नीलामी करता है।
मौजूदा वित्त वर्ष के आम बजट में सरकार ने कुल बाजार उधारी के हिस्से के तौर पर सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड जारी करने का ऐलान किया था। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बाजार उधारी 14.21 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर रहने का अनुमान जताया गया है।
सरकार ने कहा था कि सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड का इस्तेमाल हरित बुनियादी ढांचे के लिए संसाधन जुटाने के लिए किया जाएगा और इस रकम का निवेश सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में होगा। आरबीआई ने कहा, सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड की नीलामी एकसमान कीमत के तरीके का इस्तेमाल करते हुए होगी। साथ ही अधिसूचित बिक्री की रकम का 5 फीसदी गैर-प्रतिस्पर्धी बोली के तहत खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित होगा।
सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड दोबारा खरीद यानी पुनर्खरीद का भी पात्र होगा यानी रीपो लेनदेन के लिए भी। साथ ही आरबीआई का कहना है कि यह सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) प्रतिभूतियों में भी पात्र होगा।
सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड द्वितीयक बाजार में ट्रेडिंग का भी पात्र होगा और यह अप्रवासी की तरफ से निवेश के लिए फुली एक्सेसेबल रूट के तहत विशिष्ट प्रतिभूतियां भी मानी जाएगी। आरबीआई के फुली एक्सेसेबल रूट के तहत सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश को लेकर कोई सीमा नहीं होती है।
सामान्य सरकारी प्रतिभूतियों की तरह सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड के लिए बाजार के प्रतिभागी आरबीआई के दिशानिर्देश के तहत बॉन्ड की वास्तविक नीलामी से पहले कुछ निश्चित कीमत स्तर पर बोली लगा पाएंगे।
विश्लेषकों के मुताबिक, सरकारी ग्रीन बॉन्ड योजना की कामयाबी काफी हद तक ऐसी प्रतिभूतियों के लिए सृजित अनुकूल इकोसिस्टम पर निर्भर करेगा, जैसा कि कुछ देशों में होता है। खास तौर पर विदेशी निवेश का स्थापित नेटवर्क ग्रीन बॉन्ड की कामयाबी के लिए अहम होगा।
वैश्विक स्तर पर ग्रीन बॉन्ड अन्य तरह के डेट के मुकाबले प्रीमियम पर जारी होते हैं क्योंकि यह प्रतिभूति पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं के लिए सस्ती पूंजी के लिए होती है। इसका मतलब यह है कि ग्रीन बॉन्ड में निवेशकों को अन्य ऋण प्रतिभूतियों के मुकाबले कम ब्याज दर की पेशकश की जाती है।