इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (सीबीआई) के शेयरों में आज इनका निजीकरण किए जाने की खबर से उछाल दर्ज की गई। कहा जा रहा है कि सरकार आगामी संसद सत्र में बैंकिग विनियमन अधिनियम में कानूनी बदलाव करने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के इन दो बैंकों का निजीकरण करेगी। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के इन दोनों बैंकों ने कहा कि सरकार की तरफ से निजीकरण किए जाने को लेकर उनके पास कोई सूचना नहीं है।
आज बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शेयर क्रमश: 13 फीसदी और 10.5 फीसदी की बढ़त पर बंद हुए।
संसद के आगामी सत्र के लिए सूचीबद्घ कामों के मुताबिक सरकार संसद के शीत सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 पेश करेगी जिसके जरिये बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 में बदलाव किया जाएगा और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में आकस्मिक संशोधन किया जाएगा।
इसके माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के उपरोक्त दोनों बैंकों का निजीकरण किया जाएगा जिसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। भले ही इनका निजीकरण चालू वित्त वर्ष में पूरा नहीं हो पाएगा, सरकार शीघ्र ही निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर सकती है क्योंकि इसमें करीब 12 महीनों का वक्त लगेगा।
इन दोनों बैंकों के निजीकरण की सिफारिश नीति आयोग ने की थी। इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में केंद्र की हिस्सेदारी क्रमश: 96.4 फीसदी और 93 फीसदी है। सरकार इन बैंकों में कितनी हिस्सेदारी घटाएगी इसका निर्णय सौदे की रूपरेखा को तय करने के वक्त पर किया जाएगा। हालांकि, सरकार अपनी शेयरधारित का 51 फीसदी से नीचे लाएगी ताकि इन बैंकों पर सरकारी नियंत्रण को समाप्त किया जा सके।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया फिलहाल भारतीय रिजर्व बैंक की त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई तंत्र के अंतर्गत आता है। सरकार पहले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कंपनी अधिनियम के दायरे में लाने पर विचार कर रही थी ताकि बैंक के निजीकरण की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके। सरकार ने आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी है जो अन्य सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए जमीन तैयार करेगा।
