भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का कर पूर्व मुनाफा (पीबीटी) वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में कई गुना बढ़ गया। आलोच्य अवधि में बैंक का कर पूर्व मुनाफा 4,970.04 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 431.20 करोड़ रुपये से कई गुना अधिक है। विभिन्न मदों के लिए प्रावधान एवं आपात उपायों के तहत रखी जाने वाली रकम में कमी से एसबीआई का मुनाफा उछला है।
बैंक के शानदार आंकड़े देखकर बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में इसका शेयर 7.9 प्रतिशत की छलांग लगाकर 187.80 रुपये पर बंद हुआ। चौथी तिमाही में एसबीआई का शुद्ध मुनाफा 3,580.80 करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में यह आंकड़ा 834.40 करोड़ रुपये रहा था।
पूरे वित्त वर्ष 2019-20 के लिए बैंक का शुद्ध मुनाफा बढ़कर 14,881.10 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 862.23 करोड़ रुपये रहा था। हालांकि चौथी तिमाही में बैंक की शुद्ध ब्याज आय 0.81 प्रतिशत कम होकर 22,767 करोड़ रुपये रह गई। इससे पहले पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह रकम 22,954 करोड़ रुपये रही थी। एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि कृषि क्षेत्र में फंसे ऋणों के कारण शुद्ध ब्याज आय में थोड़ी कमी आई। बैंक की अन्य आय (फीस, कमीशन से प्राप्त रकम) में भी तेजी आई और यह 13,346.11 करोड़ रुपये रही। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 12,685.12 करोड़ रुपये रहा था। कुमार ने फंसे कर्जों के लिए प्रावधान की ओर इशारा करते हुए कहा कि बैंक वसूली पर विशेष ध्यान दे रहा है। वसूली अधिक होने से बैंक को फंसे कर्ज के लिए कम प्रावधान करना पड़ा, जिसकी झलक इसके वित्तीय नतीजे में दिखी।
प्रावधान (गैर-निष्पादित संपत्तियों सहित) और आपात उपायों के तहत रखी जाने वाली रकम चौथी तिमाही में कम होकर 13,495.08 करोड़ रुपये रह गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 16,501.89 करोड़ रुपये रही थी। एसबीआई का प्रॉविजन कवरेज रेशियो मार्च 2020 के अंत में सुधरकर 83.62 प्रतिशत रहा, जो मार्च 2019 के अंत में 78.73 प्रतिशत रहा था।
