भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि वित्तीय व्यवस्था में बिगटेक की बढ़ती सक्रियता से जोखिम बढ़ सकता है और यह ऐसा विषय है जिस पर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
दास ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2022 में कहा, ‘कुछ इकाइयों (कथित तौर पर बिगटेक) द्वारा बड़ी मात्रा में उपभोक्ता आंकड़ा तैयार किया जा रहा है और इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे घटनाक्रम से जोखिम बढ़े हैं।’
गूगल, एमेजॉन, ऑर व्हाट्सऐप जैसे बिगटेक पहले से ही भारत की भुगतान प्रणाली, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से जुड़ी हुई हैं। आरबीआई ने कहा है कि वित्तीय सेवाओं में डिजिटल चैनलों का इस्तेमाल स्वागत योग्य कदम है, लेकिन ऐसे प्रयासों में संभावित जोखिमों को दूर किए जाने की जरूरत होगी।
आरबीआई इस समस्या को दूर करने के लिए अन्य संबद्ध एजेंसियों के साथ मिलकर भी काम कर रहा है, जिससे कि इस दिशा में जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाए जा सकें।
डिजिटल उधारी महामारी के दौरान काफी तेजी से बढ़ी, क्योंकि आबादी के बड़े हिस्से ने अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अल्पावधि आपात ऋणों के लिए इस विकल्प का सहारा लिया।
हालांकि, उन्होंने यह कहा कि केंद्रीय बैंक की इन इकाइयों को दंडित करने या इस क्षेत्र में हो रहे नवोन्मेष को दबाने का मकसद नहीं है, लेकिन इनमें नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित होना चाहिए।
केंद्रीय बैंक के गवर्नर का यह बयान हाल की घटनाओं को देखते हुए महत्वपूर्ण है। ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं, जिसमें इन ऐप के माध्यम से कर्ज लेने वाले कुछ लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो गए।
पिछले सप्ताह झारखंड में एक युवा गर्भवती महिला की महिंद्रा फाइनैंस के ‘रिकवरी एजेंट’ द्वारा वसूली के समय एक ट्रैक्टर की चपेट में आने से मौत हो गई थी। ट्रैक्टर उसके पिता ने कर्ज पर लिया था और किस्त समय पर नहीं चुकाने को लेकर एजेंट उसे लेने आए थे।
इस तरह की घटनाओं को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने नियमों में कई बदलाव किये हैं। इसमें अन्य बातों के अलावा कर्ज देने वाले ऐप को शुरू में ही यह बताना जरूरी है कि उन्होंने किस एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) या बैंक की तरफ से यह कर्ज दिया है।
