प्रतिभूति अपील पंचाट (सैट) ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और सेंट्रल डिपोजिटरी सर्विसेज द्वारा जारी उन आदेशों को रद्द कर दिया है, जिनमें कोटक महिंद्रा बैंक को आर्केडिया शेयर ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स द्वारा गिरवी शेयरों को जब्त नहीं करने को कहा गया था। फरवरी, 2021 में एनएसई ने निजी क्षेत्र के ऋणदाता कोटक महिंद्रा बैंक को गिरवी शेयरों का सही मालिकाना हक सुनिश्चित न होने तक इन प्रतिभूतियों की बिक्री करने से रोक दिया था। सीडीएसएल ने तब डेबिट फ्रीज का आदेश जारी किया, कोटक महिंद्रा बैंक को गिरवी शेयरों पर कब्जा करने और अपना बकाया वसूलने से रोका गया था। बैंक तब इस कदम को चुनौती देते हुए सैट की शरण में चला गया।
मार्च, 2018 में आर्केडिया ने कोटक महिंद्रा बैंक से शेयर गिरवी के जरिये ऋण हासिल किया था। बैंक के साथ अपने समझौते में आर्केडिया ने यह स्पष्ट किया था कि वह इन प्रतिभूतियों की कानूनी मालिक थी और प्रतिभूतियों को किसी भी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा। दिसंबर 2020 के आसपास आर्केडिया अपने भुगतान में विफल रहने लगी, जिसके बाद कोटक महिंद्रा बैंक ने 15 फरवरी 2021 को अपने ऋण वापस मंगाने पर जोर दिया और ब्रोकर को सूचित किया कि वह अपना पैसा नहीं मिलने पर गिरवी शेयरों पर कब्जा जमाने के लिए बाध्य होगा।
इस बीच, एनएसई ने 4 फरवरी, 2021 को एक आदेश जारी कर कोटक महिंद्रा बैंक को तब तक गिरवी शेयरों को नहीं बेचने की सलाह दी, जब तक कि इन शेयररों का स्वामित्व स्टॉकब्रोकर डीमैट खातों में सुनिश्चित नहीं हो जाता। यह घटनाक्रम उन आरोपों के बीच सामने आया कि आर्केडिया ने ऋण पाने के लिए ऋणदाताओं के पास गलत तरीके से अपने ग्राहकों के शेयर गिरवी रखे।कोटक महिंद्रा बैंक के वकीलों ने सैट के समक्ष तर्क पेश किया था कि एनएसई को गिरवी शेयरों पर कब्जा जमाने से उसे रोकने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वह ट्रेडिंग सदस्य नहीं था और इसलिए उसके नियमों से बंधा हुआ नहीं है। दूसरी तरफ, एनएसई के अधिवक्ता ने तर्क पेश किया कि उसे ऐसी किसी भी तरह की कार्यवाही करने का अधिकार है, जो निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए जरूरी हो। इस बीच, एक फॉरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया था कि ग्राहकों के शेयर वास्तव में ब्रोकर द्वारा अवैध तरीके से गिरवी रखे गए थे। हालांकि सैट ने कहा कि एनएसई और सीडीएसएल को गैर-कारोबारी सदस्य को निर्देश जारी करने के अधिकार नहीं थे। सैट ने अपने आदेश में कहा, ‘हमारा मानना है कि प्रतिवादी 1 (एनएसई) को एक स्टॉक एक्सचेंज के तौर पर सिर्फ अपने कारोबारी सदस्यों के खिलाफ आदेश देने का अधिकार है और वह किसी अन्य इकाई के खिलाफ निर्देश जारी नहीं कर सकता, जो कारोबारी सदस्य नहीं है।
(डिस्क्लेमर : बिजनेस स्टैंडर्ड प्रा. लि. में कोटक समूह के नियंत्रण वाली इकाइयों की बहुलांश हिस्सेदारी है)