जून तिमाही में मार्च तिमाही के 7.4 फीसदी के मुकाबले फंसा कर्ज 11.4 फीसदी पर पहुंच जाने से जीआईसी हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड की सॉल्वेंसी व लाभप्रदता कमजोर हुई है। अप्रैल 2021 में आई कोरोना की दूसरी लहर के कारण देश भर में दोबारा लॉकडाउन लागू हुआ, लिहाजा उसके उधार लेने वालों के नकदी प्रवाह पर असर पड़ा।
वेतनभोगी वर्ग को मुख्य रूप से कर्ज देने वाली कंपनी इस दौरान भुगतान में देरी करने वाले कर्जदारों से संग्रह में अक्षम रही क्योंकि लॉकडाउन से उसका परिचालन बाधित रहा। इससे फंसे कर्ज में अचानक तेजी आ गई और कंपनी सॉल्वेंसी व लाभप्रदता के मानक पर कमजोर हो गई।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कंपनी की लंबी अवधि के बैंक लाइन व एनसीडी की रेटिंग एए प्लस से एए कर दी है। परिसंपत्ति गुणवत्ता में गिरावट से जीआईसी हाउसिंग फाइनैंस के आय प्रोफाइल पर और असर पड़ेगा और इसके परिणामस्वरूप आंतरिक पूंजी सृजन भी प्रभावित होगी।
इक्रा ने कहा कि बढ़त को लेकर अपेक्षाकृत सुस्ती के अनुमान को देखते हुए कंपनी को अल्पावधि में बढ़त वाली पूंजी की दरकार नहीं होगी। कंपनी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात जून तिमाही में 17.14 फीसदी रहा, जो नियामकीय अनिवार्यता 14 फीसदी से ज्यादा है। उसका गियरिग अपेक्षाकृत ज्यादा है यानी 8.1 गुना, (मार्च 2021 की तिमाही में 8.3 गुना) हालांकि यह मार्च 2020 तिमाही के 9.3 फीसदी के मुकाबले कम है।
नियामकीय पूंजी पर्याप्तता को हाउसिंग लोन के अपेक्षाकृत कम जोखिम भारांक का सहारा मिला है। कंपनी के पास टियर-2 पूंजी जुटाने के लिए पर्याप्त गुंजाइश है क्योंकि अभी सभी पूंजी टियर-1 पूंजी के रूप में है। जून तिमाही में कंपनी का सकल एनपीए बढ़कर 11.4 फीसदी पर पहुंच गया, जो जून 2020 में 5.64 फीसदी था। शुद्ध एनपीए भी जून 2020 की तिमाही के 3.05 फीसदी के मुकाबले जून 2021 की तिमाही में 7.86 फीसदी पर पहुंच गया। 12 महीने में कंपनी की हाउसिंग लोनबुक सिकुड़कर जून तिमाही में 12,045 करोड़ रुपये रह गई, जो एक साल पहले 12,781 करोड़ रुपये रही थी।