इस साल बता दी गई है संपत्ति की अकाउंटिंग की सही अवधि, 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2021 तक का देना होगा हिसाब
आयकर रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 है यानी समय नहीं बचा है। इसलिए भारत में निवास करने वाले जिन नागरिकों के पास विदेशी शेयर और बॉन्ड हैं, उन्हें ध्यान रहे कि अपनी इन संपत्तियों के बारे में आयकर रिटर्न में पूरी जानकारी देनी है। यदि वे विदेशी संपत्तियों के लाभकारी मालिक हैं या उनके लाभार्थी हैं तो उन्हें बताई गई लेखा अवधि के दौरान विदेशी संपत्ति में अपने हित की जानकारी दे देनी चाहिए।
क्लियर के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) अर्चित गुप्ता कहते हैं, ‘जिन करदाताओं को रेसिडेंट बट ऑर्डिनरिली रेसिडेंट (आरओआर) का दर्जा हासिल है, उन्हें यह जानकारी आयकर रिटर्न फॉर्म की अनुसूची एफए में भरना होगा।’
आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी में पार्टनर मणीत पाल सिंह बताते हैं कि नियमों में लाभकारी मालिक और लाभार्थी की परिभाषाएं बिल्कुल स्पष्ट दी गई हैं। वह समझाते हैं, ‘लाभकारी मालिक या स्वामी से आशय उस व्यक्ति से है, जिसने उस संपत्ति के लिए प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से उस संपत्ति के लिए धन मुहैया कराया है, जिससे लाभ लिया गया है। लाभार्थी वह व्यक्ति है, जिसने संपत्ति खरीदने के लिए धन नहीं दिया मगर उस संपत्ति से उसने लाभ लिया है।’
विदेशी संपत्ति और विदेशी आय की प्रकृति के आधार पर अनुसूची को कई भागों में बांटा गया है। गुप्ता कहते हैं, ‘दी जाने वाली जानकारी में उस देश का नाम शामिल है, जहां संपत्ति हैं। साथ ही बताई गई अवधि के दौरान किसी भी समय खाते में रही सर्वाधिक राशि, अंतिम राशि, खाते में जमा की गई कुल राशि, किसी भी संपत्ति में कुल निवेश अथवा वित्तीय हित, आय की प्रकृति आदि के बारे में भी बताना होता है।’
यदि भारत से बाहर कोई ट्रस्ट बनाया गया है, जिसमें करदाता ट्रस्टी, लाभार्थी अथवा निपटान कर्ता है तो उस ट्रस्ट का पूरा ब्योरा भी देना होगा।
लेखा या गणना की अवधि
पिछले साल तक ‘उचित लेखा अवधि’ शब्द की व्याख्या स्पष्ट नहीं थी। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, ‘कर निर्धारण (असेसमेंट) वर्ष 2022-23 के लिए अधिसूचित आयकर रिटर्न फॉर्म में यह ऊहापोह खत्म कर दी गई है और ‘उचित लेखा अवधि’ शब्द को हटाकर उसकी जगह ‘कैलेंडर वर्ष’ लिख दिया गया है। निर्धारण वर्ष 2022-23 के लिए रिटर्न दाखिल करते समय व्यक्ति को 1 जनवरी, 2021 से 31 दिसंबर, 2021 के बीच किसी भी समय अपने पास होने वाली सभी विदेशी संपत्तियों का ब्योरा देना होगा।’
अनुसूची एएल में दें जानकारी?
आयकर रिटर्न फॉर्म 2 और 3 में अनुसूची एएल (असेट-लायबिलिटी) में करदाता व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार को 50 लाख रुपये से अधिक आय होने पर भारत तथा विदेश में अपनी संपत्तियों तथा देनदारी का पूरा ब्योरा देना होगा। अनुसूची एफए में विदेशी संपत्तियों की ही जानकारी देनी होती है। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर समीर जैन कहते हैं, ‘भारत के निवासी करदाता के पास यदि विदेश में कोई संपत्ति है या ऐसी संपत्ति से उसे लाभ मिल रहा है तो अनुसूची एफए में जानकारी देना अनिवार्य है। दोनों अनुसूचियों में कुछ जानकारी एक जैसी देनी होती है मगर दोनों के उद्देश्य अलग हैं, इसलिए दोनों में ही जानकारी देनी चाहिए।’
ध्यान रहें ये बात
विदेशी कंपनियों के शेयर या विदेशी म्युचुअल फंडों में यूनिट हों तो ब्योरा दीजिए। गुप्ता समझाते हैं, ‘बिचौलिये के जरिये संपत्ति ली हों तो भी जानकारी दीजिए। विदेशी क्रिप्टो वॉलेट में क्रिप्टोकरेंसी हों या ईसॉप्स के जरिये विदेशी कंपनी के शेयर मिले हों तो भी बताना जरूरी है।’ किंतु विदेशी फंडों में निवेश करने वाले भारतीय फंड-ऑफ-फंड्स में निवेश किया हो तो बताने की जरूरत नहीं है।
दोहरे कर से बचें
भारत सरकार ने कई देशों के साथ दोहरे कराधान से बचाव की संधि और कर सूचना आदान-प्रदान संधि कर ली है। उसने अमेरिका के साथ विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (फाटका) पर अंतर-सरकार समझौता भी किया है। इन समझौतों के जरिये भारतीय कर अधिकारियों को विदेशी धरती पर कर देने वालों की जानकारी मिल जाती है।
टैक्समैन में उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा कहते हैं, ‘रिटर्न में पूरी और सही जानकारी दें। अगर आप अनुसूची एफए में ब्योरा नहीं देते हैं या गलत जानकारी देते हैं तो काला धन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) तथा करारोपण अधिनियम, 2015 के तहत 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।’
अनिवासी तथा नॉट ऑर्डिनरिली रेजिडेंट व्यक्तियों के लिए अनुसूची एफए में जानकारी देना जरूरी नहीं होता। मगर जैन का कहना है कि जानकारी नहीं देने या गलत जानकारी देने से 30 फीसदी की दर से अतिरिक्त कर लग सकता है, कर का तीन गुना जुर्माना हो सकता है और काला धन अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा चल सकता है।
देनी है क्या-क्या जानकारी
विदेश में डिपॉजिटरी खाते
विदेशी कस्टोडियल खाते
विदेश में इक्विटी तथा डेट निवेश
किसी संस्था में वित्तीय हित
विदेशी नकद का मूल्य, बीमा अनुबंध या एन्युटी अनुबंध
भारत के बाहर अचल संपत्ति
भारत के बाहर कोई अन्य पूंजीगत संपत्ति
जिस खाते में करदाता साइनिंग अथॉरिटी है
भारत के बाहर कोई अन्य पूंजीगत संपत्ति अथवा विदेशी स्रोतों से होने वाली आय
स्रोत: क्लियर