भारतीय रिजर्व बैंक के स्वामित्व के नियमों का अनुपालन करने के लिए बंधन बैंक के प्रवर्तकों ने सोमवार को करीब 21 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी। बैंक की होल्डिंग कंपनी बंधन फाइनैंंशियल होल्डिंग्स ने 311 रुपये के भाव पर करीब 33.74 करोड़ शेयर बेचे और 10,500 करोड़ रुपये जुटाए। हिस्सेदारी बिक्री स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर ब्लॉक डील के जरिए हुई।
देसी बाजार ने हालांकि ब्लॉक डील के जरिये बड़ी शेयर बिक्री देखी है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि शेयरधारिता के प्रतिशत के लिहाज से यह सबसे बड़े सौदों में से एक रही। क्रेडिट सुइस, जेपी मॉर्गन, गोल्डमैन सैक्स और जेएम फाइनैंशियल ने शेयर बिक्री में निवेश बैंकरों की भूमिका निभाई। हिस्सेदारी बिक्री के बाद बंधन बैंक का शेयर 10.6 फीसदी टूटकर 309 रुपये पर आ गया, वहीं 11,800 करोड़ रुपये के शेयरों के सौदे हुए। बंधन बैंक ने एक बयान में कहा, बैंक ने लाइसेंस की सभी शर्तों का अनुपालन कर लिया है।
आरबीआई के लाइसेंसिंग नियम के मुताबिक, सार्वभौमिक तौर पर सेवाएं मुहैया कराने वाले किसी भी बैंक को परिचालन शुरू करने की तारीख से तीन साल के अंदर प्रवर्तक हिस्सेदारी घटाकर 40 प्रतिशत लानी होगी।
2018 में बंधन बैंक की प्रवर्तक हिस्सेदारी 82.3 प्रतिशत पर थी। तब से बैंक आरबीआई के नियम को पूरा करने के लिए प्रवर्तक हिस्सेदारी घटाने के विकल्पों पर विचार कर रहा था। दरअसल, पिछले साल बंधन बैंक जब प्रवर्तक हिस्सेदारी घटाकर 40 प्रतिशत लाने में विफल रहा तो केंद्रीय बैंक ने उसके शाखा विस्तार पर रोक लगा दी थी।
अक्टूबर 2019 में बंधन बैंक के साथ गृह फाइनैंस के विलय के बाद हिस्सेदारी बिक्री से पहले, बीएचईएल की हिस्सेदारी 60.96 प्रतिशत पर थी।
फरवरी में बंधन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी चंद्र शेखर घोष ने कहा था कि आरबीआई ने शाखा विस्तार पर रोक हटा ली है। वैसे कोविड-19 महामारी की वजह से शाखा विस्तार नहीं किया जा सका है। अब बैंक ने शाखा विस्तार की योजना तैयार की है।
हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त रकम के इस्तेमाल के बारे में घोष ने कहा कि अब होल्डिंग कंपनी को बीमा और म्युचुअल फंड व्यवसाय शुरू करने की अनुमति मिल सकेगी। होल्डिंग कंपनी का बोर्ड यह निर्णय लेगा कि क्या यह व्यवसाय शुरू किया जाए या लाभांश दिया जाए। बीमा को लेकर कंपनी में हिस्सेदारी लेने का विकल्प खुला हुआ है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में शोध प्रमुख (रिटेल) दीपक जसानी के अनुसार, ‘माइक्रोफाइनैंस सेगमेंट कोविड-19 महामारी से प्रभावित हुआ है। इसके अलावा, असम (जो बंधन बैंक के लिए एक प्रमुख राज्य है) में बाढ़ से बैंक की परिसंपत्ति गुणवत्ता पर कुछ दबाव पड़ सकता है।’ उन्होंने कहा कि दरअसल, मौजूदा हालात में पूरे वित्तीय क्षेत्र को चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है।
हालांकि कुछ हद तक राहत की बात यह है कि जून में बंधन बैंक की संग्रह क्षमता में सुधार दर्ज किया गया। यह संग्रह अप्रैल के 29 प्रतिशत से बढ़कर जून में 76 प्रतिशत पर रहा।
