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फिरोजाबाद : भतीजे को मिला चाचा का साथ, क्या इस बार बनेगी बात?

लगभग 8000 इकाइयों वाले औद्योगिक शहर फिरोजाबाद में 7 मई को वोट डाले जाएंगे।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- May 06, 2024 | 10:48 PM IST

कभी समाजवादी पार्टी के गढ़ रहे फिरोजाबाद में अब भाजपा का झंडा लहरा रहा है। चूड़ी बनाने के लिए मशहूर रहा यह शहर ‘सुहाग नगरी’ का तमगा उतार अब धीरे-धीरे शराब की बोतल बनाने के लिए अपनी पहचान गढ़ रहा है। लगभग 8000 इकाइयों वाले औद्योगिक शहर फिरोजाबाद में 7 मई को वोट डाले जाएंगे।

इनमें आधी फैक्टरियां शीशे का काम करने वाली हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शहर में चूड़ी कारोबार लगभग 1,000 करोड़ रुपये और शीशा उद्योग का टर्नओवर 15,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

इसके बावजूद यहां मजदूर, श्रमिक और इस धंधे से जुड़े अन्य कामगारों की वेतन समेत अन्य समस्याएं वर्षों से एक जैसी ही हैं। यहां लोगों को बहुत कम वेतन या मेहनताने पर काम करना पड़ता है। शीशे के कणों और धूल के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से लोगों को फेफड़ों की बीमारियां हो रही हैं। सरकार इन लोगों की समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं देती।

पिछले चुनाव में फिरोजाबाद में अक्षय यादव को भाजपा उम्मीदवार ने 3 फीसदी से अधिक वोटों से हराया था। यहां से अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के बैनर तले लड़ने वाले शिवपाल सिंह यादव भी लड़े थे, जिन्हें कुल पड़े वोटों में से 8.53 प्रतिशत वोट मिले थे।

यहां से हार के बाद शिवपाल सपा में लौट गए। अक्षय यादव पुन: फिरोजाबाद से किस्मत आजमा रहे हैं। अक्षय यादव अपनी चुनावी सभाओं में शीशे के कारीगरों और श्रमिकों की समस्याओं को प्रमुखता से उठा रहे हैं। भाजपा को हराने के लिए वह किसानों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ी जातियों को साध रहे हैं।

लगभग तीस लाख मतदाताओं वाली फिरोजाबाद सीट पर शीशे का काम करने वालों की संख्या अच्छी-खासी है। किसान और श्रमिक वर्ग भी बड़ी संख्या में यहां रहता है। यादव जाति के लगभग 5,00,000 मतदाता हैं। इसके बाद दलितों की

संख्या लगभग 3,50,000, मुस्लिम 2,50,000, राजपूत 1,50,000 और ब्राह्मण मतदाता 1,00,000 के आसपास हैं। यादवों की संख्या सबसे ज्यादा होने के बावजूद अक्षय यादव के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं लग रहा है।

यहां से भाजपा ने मौजूदा सांसद चंद्रसेन जादौन का टिकट काट कर विश्वदीप सिंह को मैदान में उतारा है। वह मतदाताओं से कोविड-19 के दौरान किए गए अपने कार्यों को याद दिलाने के साथ-साथ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के कामों पर वोट मांग रहे हैं।

रोचक बात यह कि पिछले चुनाव में भतीजे अक्षय को 28,000 वोटों से हराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शिवपाल सिंह यादव इस बार उनकी जीत के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

First Published : May 6, 2024 | 10:48 PM IST