सरकार उन विदेशी निवेशकों पर कर का बोझ कम करने के कुछ उपाय का मूल्यांकन कर रही है जो वैकल्पिक निवेश कोष में पैसे रखते हैं। इनमें भारत के वेंचर कैपिटल (वीसी) और प्राइवेट इक्विटी (पीई) फंड शामिल हैं।
यह कदम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति द्वारा दिसंबर में इस मामले में रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उठाया जा रहा है।
समिति ने विदेशी निवेशकों वाले भारत स्थित वैकल्पिक निवेश कोषों को शून्य रेटेड या निर्यात का दर्जा देने, कर देनदारी में समरूपता लाने, ईसॉप (Esops) नियमों को आसान बनाने और सूचीबद्ध एवं गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के लिए पूंजीगत लाभ कर को एकसमान बनाने का सुझाव दिया था।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘पीई/वीसी निवेश के लिए ढांचे पर काम किया जा रहा है जिसमें इस तरह के निवेशकों के समक्ष आ रहे कराधान और नियामकीय मसले को दूर किया जा सकता है। इसके संसद के मॉनसून सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है।’
अधिकारी के अनुसार पैनल की रिपोर्ट के कुछ प्रमुख प्रस्तावों को लागू करने की संभावना पर अंतर-मंत्रालय स्तर पर विचार-विमर्श चल रहा है।
उन्होंने कहा कि इससे घरेलू और विदेशी निवेशकों से पीई निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इसके तहत सेबी, भारतीय रिजर्व बैंक, कंपनी कानून, सूचीबद्धता नियम, कराधान आदि से संबंधित नियमन में संशोधन पर विचार किया जा रहा है।
समिति ने ब्याज को निवेश पर रिटर्न मानने और इसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे से बाहर रखने का भी सुझाव दिया है। इस तरह का ब्याज कोष के मुनाफे का हिस्सा होता है जो कोष के प्रदर्शन के अनुपात में कोष प्रबंधकों को दिया जाता है। भारतीय कोष प्रबंधक भुनाने योग्य यूनिटों पर ऐसे रिटर्न को जोड़कर निवेश पर रिटर्न के रूप में ब्याज दिखाते हैं।
हालांकि कर पंचाट ने 2021 के अपने आदेश में कहा था कि यह न तो ब्याज है और न ही निवेश पर रिटर्न। यह मामला अभी पंचाट में लंबित है।
मामले के जानकार एक अधिकारी ने कहा कि पीई/वीसी उद्योग ने चिंता जताई है कि अगर इस तरह के ब्याज (कैरीड इंटरेस्ट) को निवेश पर रिटर्न नहीं माना जाता है तो इस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा जिसका बोझ अंतत: कोष प्रबंधकों पर पड़ेगा।
फंड इस तरह के मुनाफे को पूंजीगत लाभ मानता है जिस पर 20 फीसदी की दर से कर लगता है। लेकिन इसे सेवा के तौर पर प्रदर्शन शुल्क माना जाता है तो 18 फीसदी जीएसटी की देनदारी भी होगी।