भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन की बैठक सोमवार को यहां शुरू हुई। MPC की बैठक के बीच ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्रीय बैंक इस बार प्रमुख नीति दर रीपो में मामूली चौथाई प्रतिशत की वृद्धि करेगा या ब्याज दर में वृद्धि को रोकेगा।
महंगाई पर अंकुश के लिए केंद्रीय बैंक ने पिछले साल मई से ब्याज दरों में वृद्धि का सिलसिला शुरू किया था। गर्वनर शक्तिकांत दास बुधवार को छह सदस्यीय MPC की बैठक के नतीजों की घोषणा करेंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक, खुदरा मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से नीचे आ चुकी है। वहीं अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ने की उम्मीद है।
ऐसे में केंद्रीय बैंक रीपो दर में सिर्फ 0.25 प्रतिशत की वृद्धि का विकल्प चुन सकता है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के आर्थिक शोध विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमें उम्मीद है कि RBI फरवरी की नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों में वृद्धि को रोकेगा।’
केंद्रीय बैंक ने अपनी दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि की थी। इससे पहले लगातार तीन बार रेपो दर को आधा प्रतिशत बढ़ाया गया था। आरबीआई ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए पिछले साल मई से रीपो दर में कुल मिलाकर 2.25 प्र्रतिशत की वृद्धि की है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि मौद्रिक नीति समीक्षा बजट और उससे पहले आर्थिक समीक्षा के बाद आ रही है। बजट में जहां कर्ज कार्यक्रम को लगभग यथावत रखा गया है वहीं आर्थिक समीक्षा में आगामी साल में ब्याज दरें ऊंची रहने का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में रिजर्व बैंक संभवत: नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की और वृद्धि करेगा। यह इस चक्र में रीपो दर में अंतिम वृद्धि होगी।