फरवरी के अंतिम सप्ताह में दाल, डेयरी उत्पाद और खाद्य तेल सस्ते होने के कारण मुद्रास्फीति लगतार छठे सप्ताह घटकर 2.43 फीसदी हो गई जो पिछले लगभग सात साल का निम्नतम स्तर है।
फरवरी 28 को समाप्त सप्ताह के दौरान लोहा एवं इस्पात, कपड़ा, रसायन और बैटरी जैसे विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में भी गिरावट दर्ज हुई। थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति अब जून 2002 के स्तर पर है।
मंहगाई दर में पिछले सप्ताह के 3.03 फीसदी के स्तर के मुकाबले 0.6 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। जबकि पिछले साल इसी दौरान मुद्रास्फीति 6.21 फीसदी थी। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि मुद्रास्फीति की यह गिरावट अनुमानों के मुताबिक ही है। उनका अनुमान है कि अगले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति शून्य के स्तर पर पहुंच जाएगी।
भारत के मुख्य सांख्यिकीकार प्रणव सेन ने कहा यह उम्मीद के अनुरूप है। पिछले वर्ष फरवरी और मार्च के दौरान मुद्रास्फीति ने बढ़ोतरी का रूख किया था पर अब जिंसों, प्राथमिक तेल और अनाजों की कीमत में कमी आई है। इकरियर के निदेशक राजीव कुमार ने कहा यह कोई अचरज की बात नहीं है। दरअसल हमें अब अपस्फीति के बारे में परेशान होना शुरू कर देना चाहिए।
अगले दो-तीन महीनों में हम मंहगाई दर का शून्य का स्तर देख सकते हैं। इस सप्ताह के दौरान मक्का, अरहर और मूंग में एक-एक फीसदी की कमी दर्ज हुई। डेयरी उतपादों में करीब दो फीसदी की कमी दर्ज हुई जबकि खाद्य तेल में करीब एक फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
विनिर्मित उत्पादों में नायलान फिलामेंट यार्न की कीमत में दो फीसदी और सैकिंग बैग में एक फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। इसी तरह इस्पात की सिल्लियां 12 फीसदी सस्ती हुई और बैटरी की कीमत तीन फीसदी लुढ़की। ईंधन सूचकांक पिछले सप्ताह के 323.5 के स्तर पर ही बरकरार रहा।
समीक्षाधीन सप्ताह में फल एवं सब्जियां और बाजार दो-दो फीसदी सस्ते हुए जबकि बेकरी उत्पादन और मसूर की कीमत एक-एक फीसदी बढ़ी। इधर सीमेंट और कुछ जैविक रसायनों की कीमत भी बढ़ी।
मंहगाई दर में गिरावट से रिजर्व बैंक द्वारा बेंचमार्क दरों में और कटौती की उम्मीद पैदा करती है ताकि अर्थव्यवस्था को रफ्तार दी जा सके क्योंकि औद्योगिक उत्पादन में जनवरी 2009 के दौरान लगातार दूसरे महीने गिरावट दर्ज हुई। क्रिसिल के प्रमुख अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा मेरा मानना है कि अगले महीने रेपो और रिवर्स रेपो दोनों में आधा-आधा फीसदी की कमी हो सकती है।
