देश के अति धनाढ्य लोगों द्वारा परोपकार के मकसद से दी गई दान राशि में काफी कमी आई है। यह वित्त वर्ष 2022 में तेजी से घटकर 4,230 करोड़ रुपये रह गई। दासरा ऐंड बेन ऐंड कंपनी की इंडिया फिलैंथ्रॉपी रिपोर्ट 2023 के अनुसार दान राशि उससे पिछले वित्त वर्ष में 11,821 करोड़ रुपये थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दान राशि में नाटकीय गिरावट लगभग एक-तिहाई तक रही क्योंकि सीधे तौर पर नकदी जुटाने के मकसद से विप्रो के शेयर की पुनर्खरीद के कारण अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के अंशदान में 9,000 करोड़ रुपये की कमी आई।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रेमजी को छोड़कर अन्य सभी धनाढ्य लोगों का योगदान वित्त वर्ष 2021 के 4,041 करोड़ रुपये की तुलना में वित्त वर्ष 2022 में घटकर 3,843 करोड़ रुपये रह गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि परोपकार से जुड़ी दान राशि में गिरावट इस दिलचस्प तथ्य के बावजूद आई है कि वित्त वर्ष 2022 में भारत में अति धनाढ्य लोगों की शुद्ध संपत्ति में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 50,000 करोड़ रुपये की संपत्ति वाले शीर्ष स्तर पर मौजूद लोगों की संपत्ति में 19 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
रिपोर्ट के मुताबिक कुल निजी परोपकार राशि में वृद्धि की दर स्थिर रही है और वित्त वर्ष 2021 के समान ही वित्त वर्ष 2022 में कुल 105,000 करोड़ रुपये दिए गए। यह भी अच्छी खबर यह है कि कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) का खर्च वित्त वर्ष 2021 की तुलना में 5 प्रतिशत बढ़कर 27,000 करोड़ रुपये हो गया है। इसके अलावा अधिक हैसियत वाले व्यक्तियों (200-1,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ) और समृद्ध लोगों का योगदान वित्त वर्ष 2021 की तुलना में 11 प्रतिशत बढ़ा जबकि वित्त वर्ष 2021 की तुलना में खुदरा दान में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
हालांकि वित्त वर्ष 2017 में कुल योगदान में से विदेशी फंडिंग 21 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2022 में 14 प्रतिशत रह गई है। लेकिन कुल दान राशि की सबसे बड़ी गिरावट अति धनाढ्य लोगों की हिस्सेदारी में थी जो वित्त वर्ष 2021 के 11.4 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2022 में केवल 3.8 प्रतिशत तक ही रही।
जाहिर है, भारत के अति धनाढ्य लोग अपनी संपत्ति का उतना हिस्सा दान में नहीं दे रहे हैं जितना कि अमेरिका, ब्रिटेन और चीन के अति धनाढ्य लोग देते हैं। भारत में अति धनाढ्य का औसत योगदान उनकी हैसियत का केवल 0.06 प्रतिशत था जबकि वित्त वर्ष 2022 में अमेरिका में यह आंकड़ा 1.37 प्रतिशत, ब्रिटेन में 0.33 प्रतिशत और चीन में 0.38 प्रतिशत था।
वित्त वर्ष 2022 में 1,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति वाले दायरे वाले अति धनाढ्य भारतीयों का परोपकार में योगदान उनकी हैसियत का महज 0.04 फीसदी था जबकि अमेरिका में यह 6.07 फीसदी, ब्रिटेन में 1.34 फीसदी और चीन में 2.15 फीसदी था।
सेक्टर के रुझानों के आधार पर भारत के अति धनाढ्य लोगों ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अधिक योगदान देने में दिलचस्पी दिखाई। दूसरी ओर अमेरिका में इन क्षेत्रों पर अति धनाढ्य वर्ग का ध्यान कम हो रहा है। वित्त वर्ष 2022 में धनाढ्य भारतीयों का 51 प्रतिशत योगदान इन दो क्षेत्रों में था। रिपोर्ट में कहा गया है कि अति धनाढ्य लोगों के योगदान के नमूने से पता चला है कि उनमें से 70-75 प्रतिशत शिक्षा या स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में अपने कुल योगदान का कम से कम एक हिस्सा जरूर देते हैं।
इसके विपरीत, विकसित देशों में परोपकार से जुड़ी दान राशि में काफी विविधता है और केवल 40 प्रतिशत से 45 प्रतिशत ही शिक्षा या स्वास्थ्य सेवा में योगदान देते हैं।