अर्थव्यवस्था

बढ़ रहा ग्रामीण उपभोग, मगर शहरी मांग मिली-जुली

दोपहिया, तिपहिया और ट्रैक्टरों की बिक्री जैसे इसके संकेतकों से पता चलता है कि ग्रामीण मांग से निजी उपभोग की वृद्धि को बल मिला है।

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शार्लीन डिसूजा   
Last Updated- January 31, 2025 | 10:36 PM IST

साल 2024-25 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) बढ़ा है। समीक्षा में कहा गया है कि दोपहिया, तिपहिया और ट्रैक्टरों की बिक्री जैसे इसके संकेतकों से पता चलता है कि ग्रामीण मांग से निजी उपभोग की वृद्धि को बल मिला है। समीक्षा में कहा गया है, ‘यह राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की इस साल जनवरी में ग्रामीण आर्थिक स्थिति और धारणा सर्वेक्षण से भी पता चलता है। इसमें 78.5 फीसदी ग्रामीण परिवारों ने खपत व्यय बढ़ने की जानकारी दी थी।’ इसमें यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष की आखिरी छमाही में भी ग्रामीण खपत बढ़ी रहेगी और इसे बंपर खरीफ फसलों और संभावित तौर पर अच्छी रबी फसल के लिए उच्च एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) मिलेगा।

मगर समीक्षा में बताया गया है कि शहरी मांग मिली-जुली है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि पिछले साल अप्रैल से नवंबर के दौरान यात्री वाहनों की बिक्री में एक साल पहले के मुकाबले 4.2 फीसदी हो गई है, जो साल 2023 की इसी अवधि में 9.2 फीसदी थी।
समीक्षा में कहा गया है कि नील्सन आईक्यू के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में शहरी इलाकों में रोजमर्रा के सामान (एफएमसीजी) की बिक्री भी मामूली रूप से बढ़ी है। दूसरी ओर, अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच हवाई यात्री में भी 7.7 फीसदी की स्थिर वृद्धि दर्ज की गई है। समीक्षा में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2025 के लिए स्थिर कीमतों पर पीएफसीई के लिए पहले अग्रिम अनुमान में 7.3 फीसदी की सालाना वृद्धि का संकेत दिया गया है जो हाल के महीनों में तेजी का संकेत
देता है।’

ग्रामीण मांग में आई तेजी के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि साल 2023-24 के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण में उपभोग व्यय में शहरी-ग्रामीण के अंतर पाटने की बात कही गई है। इसमें कहा गया है, ‘साल 2023-24 में हर महीने एक व्यक्ति द्वारा किए जाने वाला औसत खर्च (एमपीसीई) ग्रामीण भारत में 4,122 रुपये और शहरी भारत में 6,996 रुपये था। अगर इसमें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के जरिये निःशुल्क दी जाने वाली वस्तुओं का अनुमानित मूल्य जोड़ा जाए तो यह ग्रामीण इलाकों के लिए 4,247 रुपये और शहरी इलाकों के लिए 7,078 रुपये था।’ एमपीसीई में शहरी-ग्रामीण अंतर साल 2011-12 में 84 फीसदी से घटकर 2022-23 में 71 फीसदी हो गया है। साल 2023-24 में यह और कम होकर 70 फीसदी पर आ गया है।

First Published : January 31, 2025 | 10:13 PM IST