केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKY) खत्म करके और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत मिलने वाला अनाज पूरी तरह मुफ्त करके न सिर्फ खाद्य सब्सिडी (subsidy) का बोझ कम किया है, बल्कि इससे गेहूं का भंडार भी बचेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं बचने से सरकार कीमतें बढ़ने पर बाजार में हस्तक्षेप कर सकेगी, साथ ही इससे PMGKY के बार बार विस्तार से काबू के बाहर जा रहे सब्सिडी के बोझ से भी राहत मिलेगी।
2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के हिसाब से इसका अहम राजनीतिक महत्व है, क्योंकि भारत में कोविड-19 जैसी महामारी की स्थिति को अगर छोड़ दें तो राष्ट्रीय स्तर पर कभी मुफ्त अनाज नहीं दिया गया है। इस कदम से राज्यों में बड़े विक्रय केंद्र बनेंगे, जो PDS के तहत मुफ्त में अनाज बांटेंगे और अपने हिस्से की सब्सिडी देंगे, जो पहले ही केंद्र की तुलना में बहुत कम है।
सूत्रों ने कहा कि एक सामान्य वर्ष में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत PDS से बांटे जाने वाले अनाज पर लगभग 1,80,000 करोड़ रुपये सब्सिडी देनी पड़ती है। वहीं केंद्र सरकार कोविड-19 की पहली लहर से ही PMGKY के तहत PDS के सभी लाभार्थियों को अतिरिक्त अनाज दे रही थी, जिस पर PDS के तहत दी जा रही सब्सिडी के बराबर ही खर्च पड़ रहा था।
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PMGKY बंद करने से सरकार को अतिरिक्त राशि का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। वहीं NFSA के तहत मिलने वाला अनाज मुप्फ्त करने की वजह से सिर्फ 10,000 से 15,000 करोड़ रुपये सालाना अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। केंद्र द्वारा तय मूल्य (CIP) पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के 81 करोड़ लाभार्थियों को अनाज मिलता है।