देश की पहली यूनिकॉर्न जोमैटो का शेयर शुक्रवार को एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होगा। शुरुआती समय-सारणी के मुताबिक जोमैटो का शेयर 27 जुलाई को सूचीबद्ध होना था। हालांकि निवेश बैंकों ने सेयर आवंटन की प्रक्रिया और सूचीबद्धता से संबंधित औपचारिकता समय से पहले पूरी कर ली। सेबी के ढांचे के तहत आईपीओ बंद होने और सूचीबद्धता के बीच का समय छह कार्यदिवस होना चाहिए। जोमैटो का आईपीओ 16 जुलाई को बंद हुआ था।
इस शेयर के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है क्योंंकि आईपीओ की भारी मांग देखने को मिली थी। जोमैटो के सार्वजनिक पेशकश को उपलब्ध शेयरों के मुकाबले 40 गुना मांग देखने को मिली थी और कुल मांग 2 लाख करोड़ रुपये के आसपास रही थी। देसी आईपीओ में सबसे ज्यादा बोली में से एक यह भी है।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि जोमैटो के शेयर को मिली शानदार प्रतिक्रिया से ग्रे मार्केट का प्रीमियम आईपीओ के दौरान 15 फीसदी था, जो अब बढ़कर 30 फीसदी पर पहुंच गया है। अगर ग्रे मार्केट की गतिविधियों की मानें तो यह शेयर करीब 100 रुपये पर सूचीबद्ध हो सकता है। ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनी ने शेयर की कीमत 76 रुपये तय की है, जो कंपनी का मूल्यांकन 60,000 करोड़ रुपये के आसपास पहुंचाता है।
जोमैटो ने आईपीओ के जरिए 9,000 करोड़ रुपये की नई पूंजी जुटाई है। इस रकम का इस्तेमाल विलय-अधिग्रहण व खुद के दम पर बढ़त में किया जाएगा। आईपीओ के बाद जोमैटो के पास बैलेंस शीट में 15,000 करोड़ रुपये की नकदी होगी, जिसके बारे में कंपनी ने कहा कि यह बढ़त के लिए लंबी राह तैयार करेगा।
वित्त वर्ष 2018 व वित्त वर्ष 2020 के बीच जोमैटो का नुकसान 107 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,386 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। हालांकि नकदी खर्च करने से कंपनी को अपना राजस्व पांच गुना बढ़ाने में मदद मिली और यह 466 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,605 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
लाभप्रदता के ट्रैक रिकॉर्ड का अभाव और कंपनी कब लाभ में आएगी इस पर अनिश्चितता को देखते हुए कुछ निवेशकों ने जोमैटो के आईपीओ में हिस्सा नहीं लिया। ज्यादातर ब्रोकरेज ने हालांकि अपने क्लाइंटों को इस आईपीओ में हिस्सा लेने की सलाह दी थी।
आनंद राठी ने आईपीओ नोट में कहा था, 76 रुपये प्रति शेयर पर जोमैटो का मूल्यांकन उसके वित्त वर्ष 21 की बिक्री का 29.9 गुना बैठता है। उद्योग का डिलिवरी प्रतिशत व शुद्ध लाभ 5 फीसदी बैठता है और जोमैटो का औसत ऑर्डर वैल्यू 400 रुपये (20 रुपये प्रति डिलिवरी) है, ऐसे में कंपनी बेहतर स्थिति में होगी। इसके अतिरिक्त मौजूद नेटवर्क प्रभाव, ऑर्डर की फ्रीक्वेंसी, छोटे व मझोले शहरों में बढ़त की काफी संभावना को देखते हुए हम आईपीओ में निवेश करने की सलाह देते हैं।
