जोमैटो के आईपीओ के लिए शानदार उत्साह और सूचीबद्घता के दिन तेजी से स्टार्टअप तंत्र को बड़ी राहत मिलने की संभावना है। बाजार कारोबारियों का कहना है कि शेयर बाजार में जोमैटो के सफल प्रवेश से उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी निवेशक और अधिक घरेलू स्टार्टअपों पर दांव लगाने के लिए उत्साहित होंगे। इसके अलावा इससे कई यूनिकॉर्न, 1 अरब डॉलर से अधिक पूंजी वाली गैर-सूचीबद्घ कंपनियों का अमेरिका में अपनी सूचीबद्घता को लेकर उत्साह बढ़़ेगा।
फूड-डिलिवरी कंपनी की 9,373 करोड़ रुपये की पेशकश को आईपीओ लाने वाली अन्य टेक और स्टार्टअप कंपनियों की राह में मददगार माना जा रहा था। जोमैटो के आईपीओ ने 2.1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के आवेदन आकर्षित किए और इसे 40 गुना अभिदान मिला। शुक्रवार को यह शेयर 66 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ।
कई विश्लेषक इसे परिपक्व पूंजी बाजार के संकेत के तौर पर देख रहे हैं और वे मान रहे हैं कि घरेलू निवेशक उन कंपनियों पर भी दांव लगाने को इच्छुक हैं जो मुनाफा नहीं कमा रही हैं।
कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी एस रमेश ने कहा, ‘शानदार अभिदान आकर्षित करने के बाद घरेलू बाजारों पर जोमैटो का मजबूत प्रवेश इस तथ्य का प्रतीक है कि निवेशक उन नए जमाने की कंपनियों पर दांव लगाने को इच्छुक हैं जो बिजनेस मॉडल में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं। बढ़ती इंटरनेट पैठ और स्मार्टफोन के बढ़ते चलन से पूरा निजी डिटिजल तंत्र पूंजी निर्माण में सक्षम होगा और आगामी वर्षों में हमारे पूंजी बाजार को और अधिक मजबूती मिलेगी।’
वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2020 के बीच जोमैटो का नुकसान 107 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,386 करोड़ रुपये हो गया था। हालांकि कंपनी को अपना राजस्व 466 करोड़ रुपये से पांच गुना बढ़ाकर 2,605 करोड़ रुपये करने में मदद मिली। पेटीएम, नाइका, पॉलिसीबाजार, और मोबीक्विक समेत अन्य कंपनियां अपने आईपीओ पेश करने का इंतजार कर रही हैं। बड़े स्टार्टअप के लिए अमेरिकी बाजार को पसंदीदा समझा जा रहा है। इसलिए यात्रा पोर्टल मेकमाइट्रिप जैसी कुछ घरेलू कंपनियों ने वहां सूचीबद्घता का विकल्प चुना है।
निवेश बैंकरों का कहना है कि अमेरिका में सूचीबद्घता का मतलब यह नहीं है कि कंपनियों को भारत के मुकाबले ज्यादा निवेशकों तक पहुंच हासिल हो। भारतीय बाजारों में सूचीबद्घता ने कंपनियों को विदेशी निवेशकों के अलावा म्युचुअल फंडों और और बीमा कंपनियों में संस्थागत निवेशकों के अतिरिक्त निवेश का मौका दिया है। घरेलू बाजार में सूचीबद्घता से ब्रांड को मजबूती मिलती है और उत्साह पैदा होता है, जो अमेरिका में सूचीबद्घता की स्थिति में पूरी तरह नहीं दिखता।
हालांकि कुछ का कहना है कि इस बारे में निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी है कि क्या भारतीय बाजार नुकसान वाले यूनिकॉर्न को स्वीकार करने के लिए पूरी तरह परिपक्व हैं।
इक्विनोमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम का कहना है, ‘हम सभी प्राथमिक और सेकंडरी बाजारों के लिए तेजी का आधार देख रहे हैं। यह सिर्फ जोमैटो के लिए नहीं है। आप देख रहे हैं कि होटल, एयरलाइंस और अपनी नेटवर्थ में कमजोरी वाली कंपनियों के शेयरों में भी रिकॉर्ड ऊंचाई देख रहे हैं। आपको इसे नुकसान वाली कंपनियों के साथ घरेलू निवेशकों की सहजता के प्रमाण के तौर पर नहीं देखना चाहिए। हमें इंतजार करना होगा और यह देखना होगा कि क्या उत्साह का यह रुझान अगले 3-6 महीनों तक बना रहेगा।’ स्वतंत्र विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने जोमेटो की शानदार सूचीबद्घता को तेजी के बाजारों से जुड़ा निवेशक उत्साह करार दिया है।
