ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज और इन्वेस्को की अगुआई वाले संस्थागत निवेशकों के बीच कंपनी से जुड़ा विवाद बोर्ड के कमरे से निकलकर अदालत के गलियारे तक पहुंच गया है। बंबई उच्च न्यायालय में पहुंचा यह मामला आगे जाकर सर्वोच्च न्यायालय तक की लंबी कानूनी लड़ाई में तब्दील हो सकता है।
ज़ी ने शनिवार को कहा कि उसने मौजूदा एमडी और सीईओ पुनीत गोयनका को हटाने तथा अपने नामितों को निदेशकों के रूप में नियुक्त करने के लिए असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाने की इन्वेस्को फंड्स की मांग के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इससे पहले ओपेनहाइमर समर्थित फंडों की बोर्ड पुनर्गठन की मांग के बाद ज़ी के बोर्ड ने इन्वेस्को का ईजीएम बुलाने का आग्रह खारिज कर दिया था।
वकीलों ने कहा कि इन्वेस्को की ईजीएम की मांग खारिज करने के लिए ज़ी द्वारा दायर किए गए दीवानी मामले पर बंबई उच्च न्यायालय का रुख ही तय करेगा कि यह कानूनी मामला कौन सी करवट लेगा। उच्च न्यायालय द्वारा इस याचिका को स्वीकार या खारिज किए जाने का असर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में सुनवाई पर पड़ सकता है। एनसीएलटी में मामले की सुनवाई सोमवार को होनी है।
वकीलों का कहना है कि ज़ी द्वारा शनिवार को बंबई उच्च न्यायायल में कदम रखा जाना असल में एनसीएलटी में सुनवाई के समांतर मुकदमा खड़ा करने की कोशिश है। कॉरपोरेट वकील मुरली नीलकांतन ने कहा, ‘बंबई उच्च न्यायालय यह निर्णय कर सकता है कि दीवानी मामले के रूप में पेश किया जा रहा यह वाद वास्तव में कंपनी कानून के दायरे में आता भी है या नहीं। इस मामले पर अभी एनसीएलटी विचार कर रहा है, जो फैसला कर सकता है कि ईजीएम बुलाए जाने का आग्रह अनुचित है या नहीं। अगर उसे आग्रह उचित लगता है तो वह ईजीएम बुलाए जाने का आदेश दे सकता है और चेयरमैन भी नियुक्त कर सकता है ताकि बैठक में निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।’
सराफ ऐंड पार्टनर्स के संस्थापक और प्रबंध साझेदार मोहित सराफ ने कहा कि ज़ी का बोर्ड ईजीएम बुलाने से इनकार कर रहा है। ऐसे में इन्वेस्को के पास यही विकल्प कि वह एनसीएलटी को कंपनी अधिनियम की धारा 98 का इस्तेमाल करने और ईजीएम बुलाने का आदेश देने के लिए कहे। धारा 98 एनसीएलटी को ईजीएम का आदेश देने का अधिकार देती है। विशेषज्ञों का यह भी अनुमान है कि इन्वेस्को साथ ही अपने शेयरों के लिए नीलामी प्रक्रिया चलाएगी और उन्हें अधिकतम लाभ पर बेचेगी। हालांकि सवाल यह भी है कि अगर इन्वेस्को ईजीएम बुलाने में कामयाब हो जाती है तो क्या वह ज़़ी के बोर्ड और शीर्ष स्तर पर बड़े बदलाव लाने में सफल रहेगी? नीलकांतन ने कहा, ‘इन्वेस्को की अगुआई वाले समूह की बहुमत इक्विटी हिस्सेदारी (18 फीसदी) उन्हें ईजीएम बुलाने का अधिकार देती है और संभवतया एनसीएलटी को ईजीएम बुलाने का आदेश देने के लिए कहा जाएगा। हालांकि यह देखना होगा कि इसका मतलब उन्हें बोर्ड का नियंत्रण देना होगा या नहीं।’ आग्रह नोटिस की तथाकथित अवैधता को मद्देनजर रखते हुए ज़ी बंबई उच्च न्यायालय में एनसीएलटी की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग कर सकती है।
