बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के निदेशक मंडल को शेयरधारकों की असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाने को कहा, जिसकी मांग उसकी सबसे बड़ी निवेशक इन्वेस्को ने की है।
एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी एस पटेल के पीठ ने कहा कि ईजीएम में पारित प्रस्ताव को एक हफ्ते तक स्थगित रखा जाएगा ताकि ज़ी को ईजीएम बुलाने की इन्वेस्को की मांग की वैधता को चुनौती देने के लिए अन्य अदालतों का रुख करने का समय मिल जाए। अदालत ने यह भी प्रस्ताव रखा कि अवकाश प्राप्त न्यायाधीश या तटस्थ व्यक्ति ईजीएम की अध्यक्षता करे। ज़ी के निदेशक मंडल की अध्यक्षता अभी आर गोपालन कर रहे हैं।
कार्यवाही के दौरान न्यायाधीश पटेल ने कहा कि शेयरधारकों के ईजीएम बुलाने के अधिकार को खारिज करना अति आक्रामक नजीर तय कर देगा। ज़ी ने कहा कि वह ईजीएम की तारीख के बारे में शुक्रवार को अदालत को सूचित करेगी।
इन्वेस्को ने 11 सितंबर को ज़ी के बोर्ड से शेयरधारकों की ईजीएम बुलाने को कहा था ताकि मौजूदा सीईओ व एमडी पुनीत गोयनका को हटाए जाने पर वोटिंग हो सके और छह नॉमिनी को नियुक्त करने का प्रस्ताव भी दिया था। ज़ी की तरफ से इस पर कोई फैसला न लिए जाने के बाद इन्वेस्को ने एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया था। एनसीएलटी ने ज़ी के बोर्ड को इन्वेस्को की मांग पर बैठक आयोजित करने को कहा था, लेकिन ज़ी के बोर्ड ने इन्वेस्को की मांग खारिज कर दी।
ज़ी ने 2 अक्टूबर को उच्च न्यायालय का रुख किया और अदालत से कहा कि इन्वेस्को की तरफ से 11 सितंबर को शेयरधारकों की बैठक आयोजित करने के दिए नोटिस को अवैध करार दिया जाए।
कंपनी में इन्वेस्को की हिस्सेदारी 18 फीसदी है और कंपनी के संस्थापक सुभाष चंद्रा की फैमिली की हिस्सेदारी घटकर 4 फीसदी रह गई जब उसने अपनी हिस्सेदारी कर्ज चुकाने के लिए बेच दी। ज़ी की बाकी हिसस्सेदारी संस्थानों के पास है और उनके पास इसकी कुंजी रहेगी कि गोयनका को कंपनी से हटाया जाए या नहीं।
