मंदी की मार के चलते तमाम कंपनियों ने जहां नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी हैं, वहीं कई कंपनियां छंटनी की भी योजना बना रही हैं।
इससे विभिन्न सेक्टरों में कार्यरत मानव संसाधन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी सकते में हैं। मानव संसाधन अधिकारी, जिनका काम अपनी कंपनी के लिए कर्मचारियों की भर्ती करना था, अब वे इससे इतर कर्मचारियों के प्रशिक्षण और विकास से संबंधित कामों में जुटे हैं या फिर कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि अगर स्थिति पर काबू नहीं पाया जा सका, तो एचआर अधिकारियों को भी नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है। अमेरिकी कंपनी एक्सपट्र्स इंक के सेल्स एंड मार्केटिंग के उपाध्यक्ष ए. सुदर्शन ने कहा कि कंपनी निकट भविष्य में छंटनी जैसा सख्त कदम उठा सकती है और जरूरत पड़ी तो अंशकालिक तौर पर कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी।
मंदी की वजह से कंपनियां अब कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखने पर जोर दे रही है। वोडाफोन में कुल कर्मचारियों की संख्या में से करीब 25 फीसदी कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए हैं। विप्रो, इन्फोसिस, टीसीएस जैसी कंपनियां भी इसे अपने लिए मुफीद मान रही हैं।
इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज की मानव संसाधन विभाग की वरिष्ठ उपाध्यक्ष नंदिता गूर्जर ने बताया कि उनकी कंपनी में भी कुछ एचआर कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है। आईगेट कॉरपोरेशन के एचआर विभाग के ग्लोबल हेड श्रीनिवास कंडूला ने बताया कि उनकी कंपनी में करीब 30 लोगों को एचआर विभाग में कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है।
ईडीएस और एमफेसिस ने भी अपने मानव संसाधन विभाग के कार्यों को सीमित कर दिया है। यूनिटेक और डीएलएफ जैसी रियल एस्टेट कंपनियों न भी एचआर कर्मचारियों की संख्या में कटौती की है, क्योंकि निकट भविष्य में उनकी कंपनी नई नियुक्तियां नहीं करने का मन बना चुकी है। आईसीआईसीआई बैंक ने भी एचआर कर्मचारियों की संख्या में कटौती की है।
एचआर सलाहकार संस्था हेविट एसोसिएट्स के राकेश मलिक का कहना है कि कंपनियां एचआर कर्मचारियों की संख्या कम करने का मन बना रही हैं, लेकिन छंटनी की बात करना अभी उचित नहीं है।
टीमलीज सर्विसेज के उपाध्यक्ष संपत शेट्टी ने बताया कि जब कंपनी में कर्मचारियों की नियुक्तियां बंद होती है, तो सबसे पहले गाज एचआर विभाग पर ही गिरती है।
उन्होंने बताया कि सबसे पहले कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को ही निकाला जाता है। यही नहीं, ऐसे समय में मैनेज्ड स्टॉफ सर्विसेज कंपनियों की मांग भी बढ़ जाती है।
मंदी की वजह से कंपनियां मानव संसाधन विभाग में कर्मचारियों की संख्या घटा रही हैं
कुछ कंपनियां कॉनट्रैक्ट पर एचआर कर्मचारियों की कर रही है नियुक्तियां
कई कंपनियों में कॉन्ट्रैक्ट की अवधि एक साल से घट कर 3 महीने कर दी गई है