बीएस बातचीत
इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस में करीब 22 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले समीर गहलोत (प्रवर्तक) ने पिछले सप्ताह करीब 10 कंपनियों के साथ सौदे के तहत 11.9 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी। वह चालू वित्त वर्ष के अंत तक कंपनी के बोर्ड में अपना पद भी छोडऩे जा रहे हैं। इसके साथ ही कंपनी को पूरी तरह प्रवर्तक मुक्त बनाया जा रहा है। कंपनी के वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक गगन बंगा ने सुब्रत पांडा से बातचीत में कंपनी की योजनाओं सहित विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
गहलोत द्वारा कंपनी में इतनी बड़ी हिस्सेदारी क्यों बेची गई है?
करीब दो साल पहले हमने कंपनी के संस्थानीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी। उसकी शुरुआत रियल एस्टेट डेवलपमेंट कारोबार के बाहर होने के साथ हो गई थी। हम चाहते हैं कि इंडियाबुल्स हाउसिंग का समूह के रियल एस्टेट डेवलपमेंट अथवा ऐसी किसी चीज से कोई ताल्लुख न हो जहां हितों का टकराव हो सकता है। पिछले साल गहलोत ने कंपनी के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था और एसएस मुंद्रा ने उनकी जगह पदभार संभाला था। इसके अलावा हम अपेन बोर्ड की सभी उप समितियों का पुनर्गठन कर रहे हैं ताकि वहां केवल स्वतंत्र निदेशक हों। हम कई विकल्पों पर गौर कर रहे हैं जैसे किसी रणनीतिक निवेशक को तरजीही आवंटन आदि। इसलिए समय की मांग को ध्यान में रखते हुए आगे बढऩे के लिए हमें लगा कि यह कदम उठाना चाहिए। इसके अलावा रणनीतिक निवेशकों को आकर्षित करने की प्रकिया शुरू करने के बाद उनके साथ बेहतर संबंध स्थापित करना चाहिए।
आपने हल्की परिसंपत्ति वाले मॉडल की ओर रुख किया है। ऐसे में आगे की रणनीति क्या होगी?
कंपनी अजीब दबाव में आ गई थी जहां हमारी कारोबारी प्रथाओं के बारे में सवाल किए जा रहे थे। इसलिए बहीखाते के परिसंपत्ति वर्ग के लिए प्रदर्शन करना काफी महत्त्वपूर्ण हो गया था। हम अपने ऋण खाते से करीब 90,000 करोड़ रुपये जुटाने में सफल रहे जिसका इस्तेमाल हमने लेनदारों के सकल ऋण भुगतान में किया। शुद्ध आधार पर हमने 65,000 करोड़ रुपये की अदायगी की है। इसलिए ऋण खाते का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। परिसंपत्ति गुणवत्ता भी कमोबेश दायरे में रहा। हमने तेजी से वृद्धि दर्ज की, काफी ऋण किया और कुछ गलतियां भी की। आगे चलकर हमारी रणनीति हल्की परिसंपत्ति वाले मॉडल पर चलना होगी। हमारी नजर बहीखाते में वृद्धि के बजाय प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में वृद्धि पर रहेगी।
कंपनी साल 2018 के बाद काफी आगे निकल चुकी है। जहाज को स्थिर करने में आप कहां तक सफल रहे हैं?
जहाज स्थिर हो गया है। पिछले 6 से 7 तिमाहियों के दौरान लाभप्रदता 250 से 300 करोड़ रुपये पर स्थिर है। परिसंपत्ति गुणवत्ता भी काफी हद तक स्थिर है। इसलिए बहीखाता दमदार है। वृद्धि तभी आएगी जब पर्याप्त नकदी सुनिश्चित हो, पूंजी पर्याप्तता 30 फीसदी के आसपास करीब तीन गुना बेहतर और प्रावधान करीब 5 फीसदी हो। इन सिद्धांतों के बावजूद हम 15 फीसदी वृद्धि की उम्मीद करते हैं।
क्या बोर्ड में नए चेहरों को शामिल करने की योजना है?
हां, हम बोर्ड में कुछ ऐसे वित्तीय निवेशकों के प्रतिनिधियों को शामिल करना चाहते हैं जिन्होंने इन लेनदेन में भाग लिया है।