राष्ट्रमंडल खेल शुरू होने में तो अभी साल भर की देर है, लेकिन मोटी कमाई के फेर में वहां दंगल अभी से शुरू हो गया है।
इस दंगल में देसी ही नहीं, विदेश से बीबीसी आउटडोर ब्रॉडकास्टिंग और वर्ल्ड स्पोट्र्स ग्रुप (डब्ल्यूएसजी) जैसी नामी कंपनियां भी अभी से ताल ठोककर मैदान में उतर गई हैं।
दरअसल ये कंपनियां हाई डेफिनिशन टेलीविजन (एचडीटीवी) प्रारूप के लिए 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के प्रसारण अधिकार हासिल करने की होड़ में शामिल हैं।
इनका ठेका प्रसार भारती देगा और टोक्यो ब्रॉडकास्टिंग, कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (सीबीसी) तथा स्विट्जरलैंड की कंपनी अल्फा कैम भी ये अधिकार हासिल करना चाहती हैं।
सूत्रों के मुताबिक जापान की टोक्यो ब्रॉडकास्टिंग ने इसके लिए रिलायंस एंटरटेनमेंट की सहयोगी कंपनी रिलायंस बिग प्रोडक्शंस के साथ गठजोड़ किया है, तो मुंबई की कंपनी निंबस कम्युनिकेशंस ने भी कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन के साथ संयुक्त उपक्रम बना लिया है।
दरअसल दूरदर्शन ने पिछले साल दिसंबर में नियमों में फेरबदल किया था, जिसकी वजह से ये अधिकार हासिल करने के लिए विदेशी कंपनियां देसी कंपनियों के साथ हाथ मिलाने पर मजबूर हो गई हैं। ऐसा करने पर ही इन्हें अधिकार हासिल हो सकते हैं।
दूरदर्शन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘बोली लगाने के लिए अर्हता नियमों के मुताबिक हिस्सा लेने वाली कंपनी के खाते में पिछले 18 साल के दौरान अंतरराष्ट्रीय खेल कार्यक्रमों जैसे राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों, ओलंपिक खेलों के निर्माण और कवरेज की उपलब्धि जरूर होनी चाहिए। इसके अलावा कंपनी को अंतरराष्ट्रीय दर्जे की प्रतियोगिताओं की कवरेज एचडीटीवी प्रारूप में करने का अनुभव भी होना चाहिए।’
प्रसार भारती से जुड़े सूत्रों ने इस बात की तस्दीक की है कि कम से कम 10 बड़ी कंपनियों ने प्रसारण अधिकार हासिल करने के लिए तकनीकी निविदा को भरा है।
फिलहाल इन निविदाओं को बारीकी से देखा जा रहा है। जिन कंपनियों को इसके लिए छांटा जाएगा, उन्हें अप्रैल से जून के बीच में वित्तीय निविदा के लिए बुलाया जाएगा।
इस बाबत दूरदर्शन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं , ‘इतना तो हम कह सकते हैं कि कम से कम दो विदेशी कंपनियों की निविदा तो पहले दौर में बाहर हो गई है, हालांकि, अभी इसकी पड़ताल की जा रही है। ‘
राष्ट्रमंडल खेल 3 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक दिल्ली में होने हैं और इन खेलों के एचडीटीवी प्रसारण अधिकार किसी विदेशी कंपनी को बेचने के अधिकार दूरदर्शन के पास हैं। एचडीटीवी प्रसारण की एक अत्याधुनिक तकनीक है जो पिक्चर और साउंड क्वालिटी को और बेहतरीन बनाती है।
प्रसारण के लिए आमतौर पर अपनाई जाने वाली तकनीक के मुकाबले एचडीटीवी 25 से 30 फीसदी ज्यादा महंगी पड़ती है। फिलहाल, दुनिया भर में चुनिंदा चैनल ही इस अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।
प्रसार भारती ने अधिकार बेचने के लिए कवायद दिसंबर 2008 में ही शुरू कर दी थी। उम्मीद की जा रही है कि इस महीने के आखिर तक तकनीकी निविदा में चुनी गई कंपनियों के नाम सामने आ सकते हैं। लेकिन मामला आसान नहीं है क्योंकि एचडीटीवी प्रसारण अधिकार किसी विदेशी कंपनी को बेचने के मसले पर दूरदर्शन के अधिकारी भी दोफाड़ हैं।
इनमें से एक तबका इन अधिकारों के बेचने के खिलाफ है। इस तबके का मानना है कि यह एक बहुत बड़ा मौका है, जिसमें वह अपना कौशल दिखा सकते हैं।
वहीं इससे दूसरे धड़े के एक अधिकारी का कहना है, ‘एचडीटीवी प्रसारण के लिए बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिए हमारे पास वक्त नहीं हैं। सिडनी में हुए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों का एचडीटीवी प्रसारण भी आउटसोर्स किया गया था।’
एचडीटीवी प्रसारण अधिकार बेचने की कवायद हो गई है शुरू
प्रसार भारती के पास है बेचने का अधिकार
बीबीसी, डब्ल्यूएसजी भी होड़ में
दो बड़ी कंपनियां पहले दौर में होंगी बाहर
तकनीकी निविदा का नतीजा 31 मार्च से पूर्व
अप्रैल-जून में वित्तीय निविदा के लिए न्योता
अधिकार बेचने में दूरदर्शन में ही दोफाड़