हाल ही में विमान में अधिक तकनीकी खराबी आने के कारण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 18 जुलाई को एक आदेश पारित किया जिसके अनुसार विमान रखरखाव इंजीनियर (एएमई) किसी विमान के सुरक्षा मानकों को प्रमाणित करने के अंतिम प्राधिकरण बन गए। इसने ऐसे इंजीनियरों की संख्या पर भी बात की है।
एएमई इंजीनियरों की संख्या की कमी देखते हुए जब कोई इनकी संख्या और इनके ट्रेनिंग स्कूल के डेटा को देखता है तो वह आश्चर्य में पड़ जाता है। डीजीसीए के अनुसार अक्टूबर 2021 तक देश में केवल 49 एएमई प्रशिक्षण संस्थान थे। हालांकि लोकसभा में दिए गए एक जवाब के अनुसार 12 प्रकार के प्रशिक्षण संगठन देश में काम कर रहे हैं।
डीजीसीए द्वारा आरटीआई में दिए गए एक जवाब के अनुसार पिछले 10 साल में 30,000 एएमई कंप्यूटर नंबर जारी किए गए हैं। यह एएमई कोर्स में प्रवेश लेने वाले प्रत्येक छात्र को जारी की जाती है। सिविल एविएशन मंत्रालय के 2021 के डेटा के अनुसार उद्योग ने उनमें से केवल 5,900 लोगों को ही रखरखाव और ओवरहॉल (विमान का पूरी तरह मरम्मत करने वाले) कार्यों के लिए लगा रखा है।
यदि भारत और सिंगापुर की एयरलाइन कंपनियों की तुलना की जाए तो एक बड़ा अंतर दिखता है। सिंगापुर एयरलाइन के पास 176 यात्री विमान हैं। इन विमानों के परिचालन के लिए इस कंपनी के पास 4,000 से अधिक टेक्नीशियन हैं जिनमें से 60 फीसदी लाइसेंसधारी एयरक्राफ्ट इंजीनियर हैं। यह किसी विमानन कंपनी के लिए 20 फीसदी एयरक्रांफ्ट इंजीनियर रखने के मानक से काफी अधिक है।
वहीं भारत की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो के पास 275 यात्री विमान हैं। इन विमानों के रखरखाव और ओवरहॉल के लिए इनके पास 2,222 कर्मचारी हैं। एयर इंडिया ग्रुप के पास 167 यात्री विमान हैं जिनके परिचालन के लिए 4,449 कर्मचारी हैं। इनमे से अधिकांश के पास एएमई का लाइसेंस नहीं है और ट्रेनी या जूनियर एसोसिएट के रूप में काम कर रहे हैं।
सिविल एविएशन मंत्रालय के अनुसार 2019-20 में 57,434 आवेदन एएमई लाइसेंस के लिए आए थे जिनमें से 0.8 फीसदी या 506 लाइसेंस ही दिए गए। 2020 के बाद आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को मंत्रालय ने लाइसेंस देना बंद कर दिया। डीजीसीए ने 2014 से 2022 तक 7,232 लाइसेंस जारी किए।
सरकार द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार 1 जुलाई 2021 से 31 जून 2022 तक एयरलाइंस में 478 तकनीकी खराबी आई है।
एएमई इंजीनियरों को मिलने वाले कम वेतन के कारण प्रतिभाएँ इस ओर आकर्षित नहीं होती हैं। प्रत्येक साल उद्योग में नए इंजीनियर आते हैं और सही वेतन न मिलने के कारण एक साल में ही छोड़ देते हैं। इस उद्योग में नौकरी छोड़ने की दर बहुत अधिक है। एएमई संस्थानों से पढ़ने के बाद भी रोजगार मिलने की उम्मीद कम रहती है। 9 लाख रुपये से अधिक खर्च करने के बाद भी 5 से 8 हजार रुपये प्रति महीने की ट्रेनी टेक्नीशियन की नौकरी मिलती है। लेकिन इस उद्योग में अकासा जैसी नई कंपनियों के आने से अच्छे वेतन और रोजगार की उम्मीद बढ़ी है।
