बीएस बातचीत
कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजूकी को नया कप्तान मिला है। हिसाशी ताकेउची को कंपनी का एमडी एवं सीईओ ऐसे समय में बनाया गया है जब कंपनी ढांचागत बदलाव के दौर से गुजर रही है और बाजार हिस्सेदारी में गिरावट से निपटने के लिए अपने उत्पाद को दुरुस्त करने पर विचार कर रही है। ताकेउची ने अरिंदम मजूमदार से बातचीत में कहा कि 50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी दोबारा हासिल करना संभव है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
भारतीय वाहन उद्योग फिलहाल संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में मारुति सुजूकी के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
सबसे महत्त्वपूर्ण कारोबारी एजेंडा आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण यानी सेमीकंडक्टर की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। मैं समझता हूं कि यह एकमात्र सबसे बड़ी चुनौती है। हमारे पास करीब 2,27,000 वाहनों के लिए ऑर्डर अटके पड़े हैं जो करीब ढाई महीने की घरेलू बिक्री के बराबर है।
सेमीकंडक्टर की किल्लत जल्द खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में आप उससे कैसे निपटेंगे?
हम अपनी मूल कंपनी सुजूकी मोटर कॉरपोरेशन (एसएमसी) के साथ काम कर रहे हैं। आमतौर पर हम अपने टियर-1 आपूर्तिकर्ता से बात करते हैं जो सेमीकंडक्टर चिप के स्रोत से संपर्क करते हैं। लेकिन अब एसएमसी के साथ मिलकर हमने सीधे तौर पर चिप विनिर्माताओं से बातचीत की है। हम लंबी अवधि के लिहाज से थोक ऑर्डर दे रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान मारुति की बाजार हिस्सेदारी को झटका लगा है जो 50 फीसदी से अधिक थी। कुछ लोगों का कहना है कि 50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी बरकरार नहीं रह पाई थी। ऐसे में आपकी क्या रणनीति होगी?
पिछले वित्त वर्ष के दौरान बाजार हिस्सेदारी 43.4 फीसदी और उससे एक साल पहले 47.7 फीसदी रही थी। लेकिन घरेलू एवं निर्यात सहित हमारी बिक्री में 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि उस दौरान उद्योग ने भी उसी अनुपात में वृद्धि दर्ज की। इसलिए, समान उत्पादन होने के बावजूद हमारी घरेलू बाजार हिस्सेदारी घट गई लेकिन कुल मिलाकर निर्यात में वृद्धि हुई। इसकी मुख्य वजह सेमीकंडक्टर की कमी रही।
क्या एसयूवी श्रेणी में आपकी कमजोर मौजूदगी की मुख्य वजह बाजार हिस्सेदारी में गिरावट है?
हमें हरेक श्रेणी में मौजूद रहना है। हालांकि मारुति सुजूकी के लिए छोटी कार बाजार में मौजूदगी काफी दमदार रही लेकिन एसयूवी श्रेणी में हम थोड़ा पीछे रहे हैं। एसयूवी श्रेणी में विभिन्न मॉडल उतारने की योजना है जिससे हम दमदार तरीके से वापसी करेंगे।
क्या आपको लगता है कि 50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी को हासिल किया जा सकता है?
हम 50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी दोबारा हासिल कर सकते हैं। हो सकता है तुरंत ऐसा न हो लेकिन धीरे-धीरे ऐसा होगा।
मारुति सुजूकी ने काफी देरी से इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी में दस्तक दी है। भारत में इसके लिए क्या योजना है?
सुजूकी ने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए गुजरात संयंत्र में निवेश करने की घोषणा की है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर बैटरी भी विकसित की जाएगी। इससे साफ तौर पर पता चलता है कि हम ई-वाहन के लिए काफी गंभीर हैं और हम इसे पूरी तरह भारत में ही बनाएंगे। स्थानीयकरण से हमें अंतिम उत्पाद की लागत को कम करने में मदद मिलेगी क्योंकि बैटरी लागत अभी भी काफी अधिक है।