बीएस बातचीत
हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के अध्यक्ष का कार्यभार संभाल लिया है। ऐसे समय पर जब बजट आने में मुश्किल से डेढ़ महीने का वक्त बचा है उन्होंने इंदिवजल धस्माना के साथ बातचीत में कहा कि सरकार को बुनियादी ढांचे पर खर्च को जारी रखना चाहिए। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
आर्थिक रिकवरी को तेज करने के लिए आप सरकार को क्या सलाह देंगे?
हमें जिस संतुलित चीज की जरूरत है वह है गुणी चक्र जिसमें आपके पास जबरदस्त मांग होती है जिसके लिए पूंजी खर्च करना पड़ता है जिससे बदले में नौकरियों का सृजन होता है। निजी खपत को अभी भी उस स्तर पर पहुंचना बाकी है जहां पर हम कह सकें कि हम इससे खुश हैं। निजी निवेश चक्र शुरू होना बाकी है। क्षमता उपयोगिता अभी भी 60 से 70 फीसदी की दायरे में है। जब मांग बढ़ती है तभी पूंजी निवेश चक्र आरंभ होता है। निजी खपत के संदर्भ में हमें ग्रामीण इलाकों पर भी विचार करने की आवश्यकता है। सरकार ने लोगों को मुफ्त में खाद्यान्न, प्रत्यक्ष धन स्थानांतरण कर अच्छा कदम उठाया है वहीं वास्तविक मजदूरी दर में बढ़ोतरी सालों से धीमी रही है।
आपने निजी खपत कम रहने की बात कह रहे हैं। इस संदर्भ में आप वित्त मंत्री को क्या सलाह देंगे?
खपत को बढ़ाने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है इस पर सरकार को विचार करना चाहिए। पहला प्रयास यह हो कि बीच की अवधि में सरकारी खर्च बंद नहीं होनी चाहिए। इससे बुनियादी ढांचे का निर्माण होगा जो कि दीर्घावधि की दृष्टि से जरूरी है। कई गुना प्रभाव बढ़ाने के लिए हमें कई क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें स्वयं से पूछना चाहिए कि हम लोगों के हाथ में कैसे पैसा पहुंचा सकते हैं। यहां हमेशा एक जोखिम रहता है कि क्या वे खर्च करेंगे या बचत।
निजी क्षेत्र को अधिक निवेश करने के लिए क्या चीज रोक रही है?
हमने हिंदुस्तान यूनिलीवर में निवेश को बरकरार रखा है क्योंकि हमारे पास अतिरिक्त क्षमता नहीं है। यदि व्यापक तस्वीर देखें तो पहले बहुत अधिक क्षमता का निर्माण किया गया था। यही वजह है कि क्षमता उपयोगिता अभी भी 60 से 70 फीसदी के दायरे में है। आज अच्छी बात यह है कि बैंकिंग उद्योग काफी मजबूत आधार पर है। क्षमता उपयोगिता बढऩे पर ऋण देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। भारतीय कारोबारियों की जोखिम लेने की क्षमता समाप्त नहीं हुई है।
सरकार ने कृषि कानूनों को रद्द कर दिया है। क्या आपको आगे के कृषि सुधारों में रुकावट नजर आती है?
सरकार का रुख क्या इसको लेकर कुछ भी कहना बहुत मुश्किल है। जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी बहुत कम है लेकिन इसमें देश भर में 40 फीसदी श्रम बल को रोजगार मिलता है और वैश्विक अनाज बाजार में हिस्सेदारी शुरुआती एक अंक की है। मुझे लगता है कि कृषि को लेकर जो दृष्टि बने उसमें देश में कृषि क्षेत्र की संभावना को ध्यान में रखा जाना चाहिए।