बीएस बातचीत
पिछले साल में फंडिंग में तेजी का एक बदलाव यह भी रहा कि फिनटेक स्टार्टअप लाइसेंसप्राप्त वित्तीय सेवा कंपनियों का अधिग्रहण कर रहे हैं। फिनटेक यूनिकॉर्न जीरोधा ने नवंबर में 4 लाख ग्राहक जोड़े, और उसका कुल उपयोगकर्ता आधार 76 लाख करोड़ पर पहुंच गया। जीरोधा के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत ने दीपशेखर चौधरी के साथ बातचीत में अपनी आगामी रणनीतियों के बारे में विस्तार से बताया। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
भारतपे, ग्रो, क्रेड जैसे फिनटेक यूनिकॉर्न पारंपरिक वित्तीय सेवा कंपनियों को जोड़ रहे हैं। आप उनसे अलग क्यों हैं?
मौजूदा समय में, जब आप फिनटेक में अधिग्रहणों पर विचार करते हैं तो यह ग्राहक के लिए नहीं बल्कि लाइसेंस के लिए होता है। हम तकनीकी ऋण, पारंपरिक मुद्दों और उन जोखिमों से काफी अलग हैं, जो बहीखातों में छिपे होते हैं। हम तेजी से आगे बढऩे की जल्दबाजी में नहीं हैं।
संभवत: सभी फिनटेक कंपनियों की रणनीति ऋण वितरित करने से जुड़ी होती है। क्या आपने भी ऐसी कोई योजना बनाई है?
फिनटेक कंपनियां उधारी पर विचार करने के लिए इसलिए बाध्य होती हैं, क्योंकि मौजूदा समय में वे ग्राहक जोडऩे पर ज्याा पूंजी खर्च कर रही हैं। फिनटेक क्षेत्र में मौजूदा समय में ज्यादा प्रतिस्पर्धा है और मूल्य निर्धारण ताकत नहीं है। भारत में, सभी वीसी पूंजी के संदर्भ में लोगों ने अपने मुख्य उत्पादों से ध्यान हटाया है और वे ग्राहक जोडऩे के प्रयास में कैशबैक और अन्य ऑफर दे रही हैं। अब, यदि मैं एक ग्राहक जोडऩे पर 3,000 रुपये खर्च करता हूं और सिर्फ उससे 200 रुपये कमाता हूं तो मुझे अन्य 2,800 रुपये भी वसूलने होंगे। यही वजह है कि हर कोई उधारी व्यवसाय में आ रहा है।
क्या आप मानते हैं कि वीसी फंडिंग की बड़ी मात्रा से मजबूत व्यवसाय खड़ा करने की कोशिश करने वालों की राह प्रभावित करेगी?
यदि आज मुझे जीरोधा का निर्माण करना होता तो मैं इसे उस तरह से नहीं कर पाता, जैसे मैंने किया था। हम भाग्यशाली रहे कि हमारा आकार पहले से ही मजबूत था और समय पर आय से भी मदद मिली। मैं नहीं जानता कि हर कोई यूनिकॉर्न को लेकर उत्साह क्यों दिखाता है। हम 200 रुपये का खाता खोलने का शुल्क लेते हैं और उसके बाद भी पूछे जाता है कि आप अकाउंट ओपनिंग फी क्यों लेते हैं। यह ई-सिग्नेचर और ई-केवाईसी जैसी खाता खोलने संबंधित लागत हैंँ
वीसी और टेक संस्थापकों का कहना है कि उनके व्यवसायों का मूल्यांकन पारंपरिक आय मानकों के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन सूचीबद्घता की दिशा में आगे बढऩे वाली कंपनियां उपयोगकर्ताओं के लिए पर्याप्त आंकड़े साझा नहीं कर रही हैं। क्या यह समस्या है?
यदि यह कहा जाए कि पीई जैसे मानक टेक व्यवसायों के लिए कुछ पुराने हैं तो यह सही है और उनका मूल्यांकन विास एवं उनकी ब्रांडिंग के आधार पर होना चाहिए। लेकिन तब आपको ऑडिटेड वित्तीय विवरणों के मुकाबले अपने उपयोगकर्ता आधार के बारे में आंकड़ा देना होगा। आपको तिमाही आधार पर अपने निवेशकों को सभी चीजों का खुलासा करने की जरूरत है।
माना जा रहा है कि आप क्रिप्टो में निवेश के खिलाफ रहे हैं। इस बारे में आपका क्या नजरिया है?
फिलहाल मेरा क्रिप्टो में निवेश नहीं है। क्रिप्टो में आप भले ही कमाई के अच्छे अवसर देख सकते हैं, पर इससे मुझ पर फर्क नहीं पड़ेगा। कुछ साल पहले दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो धारकों में से एक ने मुझे बिटकॉइन की पारंपरिक रेप्लिका दी थी। जब हम अपना कार्यालय बदल रहे थे, वह रेप्लिका गुम हो गई।
कई निवेश-टेक प्लेटफॉर्म अच्छी तरह से वित्तीय मदद हासिल कर रहे हैं। क्या नियामक को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि निवेश प्रक्रिया आसान बनाने से उपयोगकर्ताओं को आसानी होगी?
मेरा माननना है कि जब बचत और निवेश योजनाओं की बात हो तो सेबी ने अच्छा काम किया है। भारतीय ब्रोकिंग उद्योग अब तक दुनियाभर में कहीं भी रिटेल निवेशक के लिए सबसे सुरक्षित है। मैं नहीं मानता कि कोई बाजार निवेशक सुरक्षा के संदर्भ में हमारे करीब है।
ऑनलाइन निवेश के बारे में प्रभावशाली लोगों के बारे में आपकी क्या राय है?
इस समस्या का समाधान बेहद कठिन है और मैं जानता कि नियामक इसे लेकर चिंतित है। इसके लिए एक तरीका यह हो सकता है कि बैंक अकाउंट ऐसे प्रभावशाली लोगों का विवरण सुनिश्चित करें जो लोगों को ऑनलाइन ट्रेडिंग, ज्यादा रकम वसूलने, यूट्यूब विज्ञापनों से कमाई करना सिखा रहे हैं। मेरा मानना है कि हम लागों को ऐसे वीडियो या ब्लॉग डालने से नहीं रोक सकते हैं जिनमें वे वित्तीय बाजारों पर अपने विचारों को अपने तरीके से अभिव्यक्त करते हैं।