विशेषज्ञ समूह ने अमेरिकी औषधि नियामक को कोविड के उपचार के लिए मर्क की एंटीवायरल दवा मोलनुपिराविर के उपयोग की सिफारिश करने की सलाह दी है। इसके साथ ही भारतीय दवा विनिर्माताओं को मोलनुपिराविर के लिए अब डीसीजीआई की मंजूरी का इंतजार है।
मोलनुपिराविर के लिए मंजूरी को काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे कोविड के उपचार के लिए एक सस्ती खाने वाली दवा उपलब्ध होगी। इस दवा को मर्क ने रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स के साथ मिलकर विकसित किया है। यह दवा वायरस के एक हिस्से को लक्षित करता है जिसे रिबोन्यूक्लिक एसिड पॉलिमरेज कहा जाता है। वायरस का यह हिस्सा म्यूटेशन के बावजूद काफी हद तक अपरिवर्तित रहता है जैसा कि ओमिक्रोन वेरिएंट में देखा गया है।
हालांकि मर्क की ओर से हाल में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, यह दवा पहले के अनुमान से काफी कम प्रभावी पाई गई लेकिन इसने उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के बीच अपने क्लीनिकल परीक्षण में अस्पताल में भर्ती होने और मौत के मामलों में करीब 30 फीसदी की कमी दर्ज की।
भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को सलाह देने वाली विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने अपनी पिछली बैठक में दवा विनिर्माताओं के एक कंसोर्टियम से इस मामले में और अधिक आंकड़े मांगी है। इस कंसोर्टियम में डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल), टॉरंट फार्मास्युटिकल्स, एमक्योर फार्मास्युटिकल्स, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज (सन फार्मा) और सिप्ला शामिल हैं।
डीआरएल के प्रवक्ता ने कहा, ‘एसईसी ने अपनी पिछली बैठक में सभी कंपनियों से अधिक आंकड़े देने का आग्रह किया था। कंसोर्टियम की ओर से हमने आंकड़े जमा करा दिए हैं। अब हमें एसईसी की अगली बैठक का इंतजार है।’
भारत में इस दवा के लिए क्लीनिकल परीक्षण की संयुक्त रूप से निगरानी, पर्यवेक्षण और प्रायोजन करने के लिए इन पांच दवा विनिर्माताओं ने एकजुटता दिखाई थी। इसी साल मार्च और अप्रैल के बीच इन पांच दवा कंपनियों ने भारत सहित 100 कम एवं मध्यम आय वाले देशों में मोलनुपिराविर के विनिर्माण एवं आपूर्ति के लिए मर्क शार्प डोमे (एमएसडी) के साथ व्यक्तिगत तौर पर एक गैर-विशेष स्वैच्छिक लाइसेंसिंग समझौता किया था। इसके अलावा हेटेरो लैब्स जैसी दवा विनिर्माताओं ने यहां मोलनुपिराविर का स्वतंत्र रूप से परीक्षण किए हैं।
अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए के सलाहकारों के एक विशेषज्ञ पैनल ने मंगलवार को कोविड के उपचार के लिए मर्क की एंटीवायरल दवा को मंजूरी देने के पक्ष में मतदान किया। पिछले साल यूएसएफडीए ने गिलियड साइंसेज की इंजेक्शन वाली दवा रेमडेसिविर को कोविड के उपचार में इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी थी।
नवंबर में सन फार्मा ने कहा था कि वह भारत में मोलक्सविर ब्रांड नाम के तहत मोलनुपिराविर को उतारने की तैयारी कर रही है।
मोलनुपिराविर खाने वाली ऐसी पहली एंटीवायरल दवा है जिसे हल्के से मध्यम कोविड संक्रमण वाले वयस्कों के उपचार में इस्तेमाल के लिए ब्रिटेन के औषधि नियामक से मंजूरी मिली है।
सन फार्मा के मुख्य कार्याधिकारी (भारतीय कारोबार) कीर्ति गनोरकर ने कहा था, ‘एमएसडी के लाइसेंस वाली दवा मोलनुपिराविर को ब्रिटेन के नियामक से मंजूरी मिलना एक सकारात्मक कदम है।’
