वोडाफोन पीएलसी ने साफ तौर पर कहा है कि वह वोडाफोन आइडिया में कोई भी नया इक्विटी निवेश नहीं करेगी। कंपनी में पूंजी निवेश के बारे मे पूछे जाने पर वोडाफोन के प्रवक्ता ने कहा, ‘मैं अपने स्तर से इसकी पुष्टि करता हूं कि वोडाफोन समूह की ओर से कंपनी में नया इक्विटी निवेश नहीं किया जाएगा।’
यह कदम खास अहम है क्योंकि सरकार की ओर से दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत उपायों की घोषणा के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वोडाफोन आइडिया के दो प्रमुख शेयरधारक कंपनी में एक बार फिर से निवेश कर सकते हैं। वोडाफोन आइडिया में वोडाफोन पीएलसी की 44.39 फीसदी हिस्सेदारी है और आदित्य बिड़ला समूह के पास कंपनी की 27 फीसदी हिस्सेदारी है। संस्थागत निवेशकों के पास वोडा आइडिया के 5.59 फीसदी शेयर हैं।
वोडाफोन आइडिया की प्र्रतिस्पर्धी कंपनी भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने हाल ही सार्वजनिक तौर पर कहा था कि उन्होंने वोडाफोन पीएलसी के मुख्य कार्याधिकारी निक रीड के साथ बात की है और उन्हें वोडाफोन आइडिया में और निवेश करने को कहा था ताकि कंपनी कारोबार में बनी रह सके। मित्तल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘उन्हें कंपनी में अपना पैसा लगाने की जरूरत है।’ हालांकि वोडाफोन पीएलसी ने नवंबर 2019 में ही वोडाफोन आइडिया में अपनी शेयरधारिता को बट्टे खाते में डाल दिया था और निक रीड ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह कंपनी में कोई नया निवेश नहीं करेंगे। दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत पैकेज के ऐलान से कुछ हफ्ते पहले आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने सरकार को पत्र लिखकर कंपनी के पुनरुद्घार के लिए अपनी सारी हिस्सेदारी छोडऩे की पेशकश की थी। हालांकि बिड़ला समूह ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं कि वह कंपनी में और पैसा लगाएगी या नहीं।
दूरसंचार पैकेज से वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत मिलेगी और करीब चार साल के लिए मॉरेटोरियम का भी कंपनी को लाभ होगा। हालांकि उसे मॉरेटोरियम अवधि के बाद समायोजित सकल राजस्व और स्पेक्ट्रम बकाये की राशि को ब्याज सहित भुगतान करना होगा।
विश्लेषकों का अनुमान है कि कंपनी अगर कारोबार में बनी रहना चाहती है और 5जी स्पेक्ट्रम खरीदती है तथा अपने नेटवर्क का उन्नयन करती है तो उसे अगले चार साल में करीब 10 से 12 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश करना होगा। हालांकि कंपनी अगर अपना बकाया चुकाने में विफल रहती है तो सरकार उसकी हिस्सेदारी को 30 से लेकर 70 फीसदी तक इक्विटी में बदल सकती है। और इस शेयर का मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर होगा। विश्लेषकों ने चिंता जताते हुए कहा कि इससे वोडाफोन आइडिया एक सरकारी कंपनी बन जाएगी।
