वीजा इंक ने अमेरिकी सरकार से शिकायत की है कि भारत में उसके देसी भुगतान प्रतिस्पर्धी रुपे को मिल रहे अनौपचारिक और औपचारिक बढ़ावा से प्रमुख बाजार में अमेरिका की इस दिग्गज कंपनी को नुकसान हो रहा है। रॉयटर्स ने इससे संबंधित मीमो को देखा है।
सार्वजनिक तौर पर वीजा ने रुपे के उदय के बारे में चिंताओं को कम कर दिया है। रुपे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सार्वजनिक लॉबिंग का भी लाभ मिलता है। इसके तहत स्थानीय स्थानीय उत्पादों के इस्तेमाल को राष्ट्रीय सेवा जैसा बताया गया है।
लेकिन अमेरिकी सरकार के प्रतिवेदन से पता चलता है कि वीजा ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) कैथरीन ताई और कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी अल्फ्रेड केली सहित कार्यकारियों के बीच हुई 9 अगस्त की बैठक के दौरान भारत में एक समान अवसर का मुद्दा उठाया गया था।
मास्टरकार्ड इंक ने यूएसटीआर से इसी तरह की शिकायत अलग से दर्ज कराई है। रॉयटर्स ने 2018 में खबर दी थी कि कंपनी ने यूएसटीआर से शिकायत की है कि मोदी स्थानीय नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीयता का इस्तेमाल कर रहे हैं।
बैठक से पहले ताई के लिए तैयार किए गए यूएसटीआर मीमो में कहा गया है, ‘वीजा भारत की अनौपचारिक और औपचारिक नीतियों को लेकर चिंतित रही है जो अन्य देसी और विदेशी इलेक्ट्रॉनिक भुगतान कंपनियों पर रुपे का परिचालन करने वाले भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के कारोबार के पक्ष में नजर आती है।’
वीजा, यूएसटीआर, प्रधानमंत्री कार्यालय और एनपीसीआई ने टिप्पणी के लिए अनुरोध किए जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्षों से रुपे कार्ड का प्रचार किया है जिससे तेजी से बढ़ते भुगतान बाजार में वीजा और मास्टरकार्ड के समक्ष चुनौती खड़ी की है। नवंबर 2020 तक भारत के 95.2 करोड़ डेबिट और क्रेडिट कार्ड में 63 फीसदी भागीदारी रुपे की है। यह आंकड़ा कंपनी के बारे में हाल में जारी किए गए नियामकीय आंकड़ों के मुताबिक है। 2017 में यह भागीदारी 15 फीसदी थी।
