अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली वेदांत लिमिटेड ने आज कहा कि उसने निकल और कोबाल्ट की प्रमुख उत्पादक गोवा स्थित निकोमेट का अधिग्रहण कर लिया है।
वेदांत ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि यह अधिग्रहण ऐसे समय में हुआ है, जब बैटरी की मांग में वृद्धि और हाल के वर्षों मेंस्टेनलेस-स्टील के वैश्विक उत्पादन में इजाफे के साथ निकल का बाजार संकुचित हो रहा है। यह वह रुख है, जो वर्ष 2022 में भी जारी रहने की उम्मीद है।
विज्ञप्ति में वेदांत लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के हवाले से कहा गया है ‘हम निकल और कोबाल्ट उत्पादन में वेदांत के प्रवेश के संबंध में उत्साहित हैं, जो आत्मनिर्भर भारत के लिए सरकार के मिशन के समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। निकल और कोबाल्ट बड़े रणनीतिक महत्त्व वाली धातुएं होती हैं, खास तौर पर स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर हमारे रुख के लिए। वर्तमान में भारत अपनी निकल आवश्यकताओं का 100 प्रतिशत आयात करता है और हमारा ध्यान घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने पर होगा, जो भारत की शुद्ध शून्य अर्थव्यवस्था की ओर जाने को बढ़ावा देगा।’ वर्तमान में निकोमेट के पास प्रति वर्ष 7.5 टन निकल और कोबाल्ट का उत्पादन करने की क्षमता है। इसका कहना है कि एक महत्त्वाकांक्षी वृद्धि योजना के साथ वेदांत देश की कुल निकल मांग का 50 प्रतिशत पूरा करने के लिए भलीभांति तैयार है।
इस अधिग्रहण के साथ वेदांत लिमिटेड देश में निकल की एकमात्र उत्पादक बन गई है। अलबत्ता इस अधिग्रहण के सौदे के आकार का कंपनी द्वारा खुलासा नहीं किया गया है। निकोमेट वेदांत के लिए एक प्रमुख रणनीतिक अधिग्रहण का प्रतीक है, क्योंकि इससे अपने लौह और इस्पात कारोबार के पोर्टफोलियो को मजबूत करने की उम्मीद है।
निकल एक ऐसा प्रमुख कच्चा माल है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बैटरी और स्टेनलेस स्टील विनिर्माण में किया जाता है। साथ ही कोबाल्ट का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लिथियम-आयन बैटरियों के वास्ते, ऊर्जा भंडारण प्रणालियों और इस्पात विनिर्माण के लिए सुपरलॉय में किया जाता है।
वेदांत ने कहा है कि निकोमेट का अधिग्रहण उसके ईएसजी कार्यक्रम के अनुरूप है और भारत के कार्बन तटस्थता लक्ष्यों का समर्थन करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
गुणवत्ता के लिए आईएसओ 9001 से प्रमाणित और आरऐंडडी पर जोरदार ध्यान केंद्रित करने से निकोमेट वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी विनिर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली उच्च गुणवत्तापूर्ण बैटरी स्तर के निकल सल्फेट क्रिस्टल की प्रमाणित उत्पादक के रूप में उभरी है। वर्तमान में भारत की निकल मांग 45,000 टन प्रति वर्ष आंकी जाती है, जो फिलहाल पूरी तरह से आयात के माध्यम से पूरी की जाती है।
