उद्योगपति अनिल अग्रवाल के खनन समूह वेदांत ने सोमवार को कहा कि उसने सरकार के साथ पिछली तिथि से 20,495 करोड़ रुपये के कर विवाद के निपटान के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष दायर मामलों को वापस ले लिया है। आयकर विभाग ने ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी के भारतीय कारोबार के सूचीबद्ध होने से पहले 2006 में आंतरिक पुनर्गठन से हुए पूंजीगत लाभ को लेकर कंपनी से 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग की थी। उसके बाद विभाग ने ब्रिटेन की मूल कंपनी को हुए पूंजीगत लाभ पर कर कटौती करने में विफल रहने को लेकर केयर्न इंडिया पर जुर्माना समेत 20,495 करोड़ रुपये की कर मांग का नोटिस दिया था।
वेदांत समूह ने 2011 में केयर्न इंडिया को खरीद लिया और बाद में उसका वेदांत लि. में विलय हो गया। वेदांत ने एक बयान में कहा कि उसने कर विवाद के समाधान को लेकर हाल में बने कानून का उपयोग किया है। कानून के तहत 2012 के पूर्व की तिथि से कराधान कानून का उपयोग कर की गई कर मांगो को निरस्त कर दिया गया। कानून की शर्तों के तहत कंपनी ने सरकार के खिलाफ सभी कानूनी मामलों को वापस ले लिया है। साथ ही कर मांग से संबंधित भविष्य में किसी प्रकार का कानूनी अधिकार का उपयोग नहीं करने को लेकर लिखित में प्रतिबद्धता जताई है।
केयर्न एनर्जी भी सरकार के साथ अपने विवाद का निपटान कर रही है। उसने पिछली तिथि से कर कानून का उपयोग कर वसूले गए 7,900 करोड़ रुपये की वापसी को लेकर दायर मामलों को वापस ले रही है। केयर्न का कहना था कि 2006 के कंपनी पुनर्गठन के मामले में उस समय की व्यवस्था के अनुसार कोई कर नहीं बनता था। उसने 2015 के आदेश के खिलाफ वसूले गए करों को वापस लेने को लेकर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में मामला जीत लिया था। वेदांत ने कर की मांग को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण और दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। वहीं मूल कंपनी वेदांत रिर्साेसेज ने मामले को सिंगापुर मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी। कंपनी ने एक बयान में कहा, भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 में कराधान कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के जरिए हाल के संशोधन के मद्देनजर वेदांत लिमिटेड और इससे जुड़ी सभी इकाइयों ने आयकर उपायुक्त, अंतरराष्ट्रीय कराधान सर्किल, गुडग़ांव के 11 मार्च, 2015 के आदेश से उत्पन्न विवादों के समाधान को लेकर कदम उठाए हैं। इस संशोधन के जरिए वित्त अधिनियम, 2012 के तहत लगाए गए पूर्व की तिथि से कराधान को निरस्त कर दिया गया।
नए कानून के तहत वेदांत लि. और उसकी संबद्ध इकाइयों ने मामले के निपटान को लेकर जरूरी फॉर्म जमा किए हैं। साथ ही निर्धारित फॉर्म एक में लिखित में आगे इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाने की बात कही है।
