वेदांत समूह की कंपनी वेदांत रिर्सोसेज ने उड़ीसा में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से लगने वाले 50 लाख टन के इस्पात संयंत्र की परियोजना को रद्द करने का फैसला किया है।
कंपनी के सूत्रों ने बताया कि अब कंपनी अलौह धातु और लौह अयस्क के कारोबार पर ध्यान देना चाहती है। इसीलिए कं पनी ने इस परियोजना को रद्द करने का फैसला लिया है अगले तीन साल में वेदांता की पूंजी खर्च योजना में इस इस्पात संयंत्र का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है।
कंपनी अगले तीन साल में लगभग 1,118 करोड़ रुपये निवेश करेगी। स्टरलाइट ने अभी असार्को का अधिग्रहण भी नहीं किया है। लेकिन फिर भी इस कंपनी का जिक्र वेदांता की इस योजना में है। कंपनी ने यह इस्पात परियोजना अगस्त 2004 में शुरू करने की बात की थी। लेकिन तब से इस योजना पर बहुत ही कम काम हुआ है।
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कंपनी ने यह परियोजना राज्य सरकार की लौह अयस्क जैसे कच्चे माल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की नीति के तहत शुरू की थी। लेकिन इस्पात कारोबार अब कंपनी की रणनीति में कहीं भी नहीं है।’ कंपनी के एक और अधिकारी ने कहा कि कंपनी भविष्य के हालात देखते हुए इस परियोजना को फिर से शुरू कर सकती है।
लेकिन फिलहाल वेदांता अंतरराष्ट्रीय खनन कारोबार की दिग्गज कंपनी बनने पर पूरा ध्यान लगा रही है। कंपनी की योजना इस्पात के कारोबार बढ़ाने के बजाय साल 2013 तक लौह अयस्क के उत्पादन को सालाना 1.25 करोड़ टन से बढ़ाकर 10 करोड़ टन करने की भी है।
इसके अलावा वेदांता एल्युमिनियम कालाहांडी में 3,500 करोड़ रुपये की लागत से एल्युमिना रिफाइनरी लगा रही है। इसके साथ ही कंपनी झारसुगुड़ा जिले में 7,000 करोड़ रुपये का निवेश कर इएल्युमिनियम स्मेल्टर परियोजना भी शुरू करेगी।
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अनिल अग्रवाल ने कहा कि अगर कंपनी को संयुक्म उपक्रम बनाने के लिए कोई साझीदार मिल जाता है तो कंपनी अगले 5 साल में इस इस्पात परियोजना को पूरा कर सकती है।