देश के पहले उपभोक्ता मंच जोमैटो के प्राथमिक बाजार में आने के मूल्यांकन से निवेशक को शायद बड़ा लाभ न मिल पाए। ऑनलाइन फूड एग्रीगेटर बाजार की यह अग्रणी कंपनी अपनी विकास योजनाओं के लिए 9,350 करोड़ रुपये जुटा रहा है।
देश भर के 525 शहरों में मौजूदगी वाली यह कंपनी, जिस पर हर महीने औसतन 68 लाख ग्राहक खाना ऑर्डर करते हैं, उसका मूल्य आठ अरब डॉलर या 72 से 76 रुपये के कीमत दायरे के ऊपरी स्तर पर 60,000 करोड़ रुपये से कम आंका जा रहा है। ज्यादातर ब्रोकरेजों ने शुरुआत में मूल्यांकन 5.5 अरब डॉलर के स्तर पर आंका था।
एलारा कैपिटल के उपाध्यक्ष करण तौरानी कहते हैं कि वित्त वर्ष 24 के एंटरप्राइज वैल्यू टू सेल्स के 11 गुना पर यह शेयर डोरडैश जैसी अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले 40 फीसदी प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। अधिकांश वैश्विक कंपनियां इस पैमाने पर चार से आठ गुना स्तर पर कारोबार कर रही हैं। हालांकि भारत में तेज विकास दर और कमी प्रीमियम को देखते हुए इस प्रीमियम को उचित ठहराया जाता है, लेकिन इस परिदृश्य में मूल्यांकन की पूरी तरह कीमत निर्धारित की गई है और निवेशकों के लिए काफी कम बचता है।
अधिक मूल्यांकन का कारण एग्रीगेटर बाजार में दो कंपनियों की एकाधिकार वाली स्थिति, अगले कुछ वर्षों में 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि, पैठ बनाना और खाद्य सेवाओं का बड़ा उपलब्ध बाजार है। ऑनलाइन खाद्य वितरण सेवा प्रदाताओं (चार अरब डॉलर से कुछ ही अधिक के साथ) का इस बाजार में केवल छह से आठ प्रतिशत ही योगदान है।
विश्लेषक आगे चल रहे कई जोखिमों पर भी प्रकाश डालते हैं। रेस्टोरेंट एसोसिएशन द्वारा डिलिवरी ऐप्लिकेशनों के रूप में बढ़ी प्रतिस्पर्धा, डोमिनोज जैसे त्वरित सेवा वाले रेस्टोरेंट और एमेजॉन जैसी आर्थिक रूप से संपन्न कंपनियां आगे चलकर जोमैटो की लाभप्रदता में सेंध लगा सकती हैं। हालांकि इस वैश्विक महामारी को देखते हुए वित्त वर्ष 21 में जोमैटोक की छूट में काफी कमी आई है, लेकिन एमेजॉन द्वारा लगाए गए काफी कम कमीशन बड़ी कंपनियों को बाजार हिस्सेदारी
हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
इसके अलावा डिलिवरी चार्ज, जिन्हें वित्त वर्ष 21 में बढ़ाया गया था, सामान्य रिटर्न के रूप में कम हो सकते हैं। हालांकि विकास निश्चित है, लेकिन वॉल्यूम बढ़ाने के लिए छूट का स्तर (मजबूत सहसंबंध) और इसकी लागत को कम रखने की क्षमता कंपनी के लिए लाभप्रदता पर प्रतिफल तय करेगी। वित्त वर्ष 21 में 1,993 करोड़ रुपये के राजस्व पर कंपनी ने 816 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है।
अलबत्ता रिलायंस सिक्योरिटीज के विकास जैन सब्स्क्राइब रेटिंग देते हैं और कहते हैं कि कम से कम दो साल की अवधि तक निवेश रखने वाले वाले निवेशक इस आईपीओ पर विचार कर सकते हैं। वे कहते हैं, कम पैठ, बाजार में केवल दो बड़ी कंपनियों, घटती विज्ञापन लागत और कंपनी द्वारा घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित किए जाने को ध्यान में रखते हुए शुरुआती नकदी झोंकने के बाद आगे चलकर वृद्धि और लाभप्रदता में सुधार होगा। कुल आय के अनुपात के रूप में विज्ञापन लागत वित्त वर्ष 21 में गिरकर 25 प्रतिशत रह गई है, जबकि वित्त वर्ष 18 में यह 88 प्रतिशत थी।
