भारत में कोविड-19 टीके के बूस्टर शॉट या तीसरी खुराक की अनुमति देने के बारे में फैसला करने के लिए बहुत ज्यादा प्रत्याशित बैठक के पहले टीका बनाने वाली कंपनियां क्षमता बढ़ाने की कवायद में जुट गई हैं।
आबादी के एक तबके (अगली पंक्ति में काम करने वाले लोगों) को तीसरी खुराक देने के अलावा अगर बच्चों को टीके लगाने की शुरुआत होती है तो इससे मांग और बढऩे की संभावना है।
उम्मीद की जा रही है कि आबादी के कुछ तबके को बूस्टर शॉट की अनुमति देने की स्थिति की समीक्षा के लिए अगले सप्ताह बैठक हो सकती है। दवा नियामक ने अभी बच्चों का टीकाकरण शुरू करने की अनुमति भी नहीं दी है। साथ ही भारत में प्रतिरक्षाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने बच्चों के टीकाकरण को लेकर कोई रणनीति नहीं पेश की है। बहरहाल उम्मीद की जा रही है कि बच्चों का टीकाकरण जल्द शुरू होगा।
विश्व की सबसे बड़ी टीका विनिर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई) ने कहा कि अब वह 22 करोड़ खुराक प्रति महीने एस्ट्राजेनेका शॉट बना रही है। कंपनी ने उम्मीद जताई है कि इसी दर से आगामी महीनों में उत्पादन जारी रहेगा। पुणे की टीका निर्माता जरूरत पडऩे पर एक महीने में 24 करोड़ खुराक एस्ट्राजेनेका बना सकती है, जिसे वह कोविशील्ड के नाम से बेचती है। एसआईआई नोवावैक्स वैक्सीन कोवैक्स भी बना रही है, जिसका बच्चों पर परीक्षण चल रहा है। एसआईआई को उम्मीद है कि यह टीका अप्रैल के आसपास उपलब्ध होगा और उसने जनवरी-फरवरी में क्लीनिकल परीक्षण का ब्योरा पेश करने का लक्ष्य रखा है। कंपनी ने कोवोवैक्स के उत्पादन की योजना का खुलासा नहीं किया, उसका लक्ष्य 5 करोड़ खुराक मासिक बनाने का लक्ष्य है। उधर हैदराबाद की भारत बायोटेक का कहना है कि उसने अक्टूबर में 5.5 करोड़ खुराक कोवैक्सीन बनाया है और दिसंबर तक वह कोविड के लिए 8 करोड़ खुराक टीके बनाएगी। कंपनी ने कहा कि कोवैक्सीन के लिए उसकी विस्तार की योजना पटरी पर है।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘भारत बायोटेक ने पहले की अपने कोवैक्सीन विनिर्माण स्थल पर काम शुरू कर दिया है। हैदराबाद में 4 उत्पादन स्थल हैं, दो बेंगलूरु में हैं जबकि एक अंकलेश्वर में है। और अब एक और संयंत्र पुणे में लगने वाला है।’ भारत बायोटेक ने 100 करोड़ खुराक सालाना बनाने का लक्ष्य बनाया है। यह उत्पादन उसकी अपनी साइट पर होगा। इसके अलावा उसके साझेदार की साइट इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स (आईआईएल), मुंबई के हैफकिन इंस्टीट्यूट, भारत इम्यूनोलॉजिकल्स ऐंड बायोलॉजिकल्स कॉर्पोरेशन (बीआईबीसीओएल), गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर और हेस्टर बायोसाइंसेज में भी इसका उत्पादन होगा।
गुजरात की हेस्टर जानवरों के लिए टीके बनाती है। अब वह कोवैक्सीन बनाने के लिए नया संयंत्र लगा रही है। एक सूत्र ने कहा, ‘जनवरी तक यह नया बीएसएल-3 संयंत्र तैयार हो जाएगा और यहां पर हर महीने 70 लाख कोवैक्सीन की खुराक बनने लगेगी।’ एक और बड़ी कारोबारी बायोलॉजिकल ई ने प्रोटीन सब-यूनिट टीका कॉर्बेवैक्स इस महीने के अंत से बनाएगी। पिछले महीने फर्म के प्रबंध निदेशक महिमा डाटला ने कहा था कि बायोलॉजिकल ई 10 करोड़ टीके की पेशकश के लिए तैयार है। उन्होंने कहा था,’कार्बेवैक्स तीसरे चरण के परीक्षण के दौर में है। हम नवंबर के अंत तक सभी अध्ययन पूरा करलेंगे, उसके बाद हम लाइसेंस की उम्मीद कर रहे हैं। एक महीने बाद बच्चों के टीके का लाइसेंस लिया जाएगा। बच्चों पर भी परीक्षण चल रहा है।’
टीके की विनिर्मित खुराक इस समय सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी (सीडीएल) कसौली, हिमाचल प्रदेश भेजा गया है, जिससे नियामकीय परीक्षण हो सके।
बायोलॉजिकल ई सालाना 100 करोड़ खुराक कॉर्बेवेक्स बना सकती है। जॉनसन ऐंड जॉनसन का टीका बायोलॉजिकल ई द्वारा बनाया जा रहा है। इसकी क्षमता सालाना 60 करोड़ टन है।
कार्बेवैक्स की एक अरब खुराक और जेऐंडजे की 60 करोड़ खुराक के अलावा हैदराबाद की कंपनी ने 2022 तक कोविड के लिए 60 करोड़ खुराक एमआरएनए टीके की बनाने की योजना बनाई है। इसने कनाडा की फर्म प्रोविडेंस थेरेाप्यूटिक्स के साथ समझौता किया है।
अहमदाबाद की कैडिला हेल्थकेयर, जिसे कोविड के डीएनए टीके के लिए मंजूरी मिली है, ने संकेत दिया है कि वह 1 करोड़ खुराक प्रति माह बनाएगी। कैडिला हेल्थकेयर के शर्विल पटेल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था कि क्षमता बढ़ाने के लिए वह विनिर्माण साझेदार तलाश रही है।
जाईकोवी-डी टीके को किशोरों को देने के लिए मंजूरी मिल गई थी, जिसका उत्पादन शुरू किया जाना बाकी है। केंद्र सरकार इस टीके की 1 करोड़ खुराक खरीदेगी।
रोज टीके लगाने का 15 दिन का औसत अब प्रति दिन 50 लाख हो गया है, जो सितंबर में दिए जा रहे 2.1 करोड़ के शीर्ष स्तर की तुलना में बहुत कम है। इस समय मामले कम होने की वजह से टीके की मांग कम बनी हुई है। बहरहाल आबादी के नए वर्ग के लिए टीकाकरण शुरू करने से मांग में बढ़ोतरी हो सकती है।
साथ ही निर्यात मांग भी है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत ने 6.5 करोड़ कोविड टीके का इस साल निर्यात किया है और स्थानीय उत्पादन तेज किया जा रहा है, जिससे निर्यात और बढ़ेगा।
