यूटीवी समूह को अंग्रेजी कारोबारी समाचार चैनल ‘यूटीवी आई’ शुरू किए अभी साल भर भी नहीं हुआ कि उसे साझेदार की जरूरत महसूस होने लगी।
समूह चैनल में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने वाले किसी साझेदार की तलाश कर रहा है। निवेश बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक कंपनी चैनल की कीमत लगभग 200 करोड़ रुपये तय कर हिस्सेदारी बिक्री से 100 से 125 करोड़ रुपये कमाने की योजना बना रही है।
सूत्रों की बात पर यकीन करें, तो कंपनी को अगले 2 साल में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए इस रकम की जरूरत है। अप्रैल 2008 में शुरू हुआ यह चैनल हर महीने तकरीबन 2 करोड़ रुपये की कमाई कर रहा है और इसे चलाने में महीने भर में 7.25 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। इस तरह हर महीने इसे 5.25 करोड़ रुपये का यानी सालाना 60 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
नुकसान की बड़ी वजह आर्थिक मंदी है, जिसके कारण विज्ञापन से होने वाली कमाई काफी कम हो गई है। यूटीवीआई अंग्रेजी के तीन शीर्ष कारोबारी समाचार चैनलों में शामिल है और कारोबारी खबरों के बाजार में इसकी हिस्सेदारी 5 से 6 फीसदी है। सीएनबीसी टीवी 18 और एनडीटीवी प्रॉफिट दूसरे मुख्य अंग्रेजी कारोबारी समाचार चैनल हैं।
एक निजी इक्विटी कंपनी के प्रमुख ने कहा, ‘भारत में समाचार चैनलों का कारोबारी मॉडल ही अजीब है। यह पूरी तरह से विज्ञापन से होने वाली कमाई के भरोसे रहता है और इसे ग्राहकों से कोई कमाई नहीं होती। यही वजह है कि मंदी का असर इस पर जबरदस्त तरीके से पड़ रहा है क्योंकि तमाम कंपनियों ने अपने विज्ञापन बजट में अच्छी खासी कटौती कर ली है।’
कंपनी पहले ही इस चैनल में 170 करोड़ रुपये लगा चुकी है, जो इक्विटी और कर्ज के जरिये जुटाए गए थे। इनमें से 60 करोड़ रुपये रॉनी स्क्रूवाला और यूटीवी सॉफ्टवेयर कम्युनिकेशंस लिमिटेड समेत प्रमोटरों की इक्विटी से आए थे।
स्क्रूवाला और उनके परिवार ने इसमें 20 करोड़ रुपये की इक्विटी लगाई है और उनके पास कंपनी के 80 फीसदी शेयर हैं। बाकी 20 फीसदी हिस्सेदारी यूटीवी सॉफ्टवेयर कम्युनिकेशंस के पास है। स्क्रूवाला ने इस बारे में पूछे जाने पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘अभी इस मामले में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।’
मौजूदा प्रसारण नियमों के मुताबिक किसी भी समाचार प्रसारण चैनल में 51 फीसदी हिस्सेदारी किसी एक भारतीय प्रमोटर समूह के पास ही होनी चाहिए। सूत्रों ने बताया, ‘अगर कंपनी की कीमत 200 करोड़ रुपये भी तय की जाए, तो 100 से 125 करोड़ रुपये जुटाने के लिए उसे अपनी अधिसंख्य हिस्सेदारी बेचनी होगी।’
बाजार की डांवाडोल हालत देखते हुए चैनल की इतनी कीमत लगना मुश्किल है। अहम बात यह है कि उसे सालाना 60 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
कल की चिंता
यूटीवीआई की ज्यादातर हिस्सेदारी बिकने की बात
अगले दो साल का घाटा पाटने को चाहिए हैं 100 से 125 करोड़ रुपये
रॉनी स्क्रूवाला ने किया टिप्पणी से इनकार
