‘उत्तराखंड के पर्वतीय और दूरस्थ इलाकों के लिए विशेष एकीकृत औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2008’ की घोषणा के बाद राज्य सरकार अब पहाड़ी क्षेत्रों में ताजा निवेश आकर्षित करने की कोशिश में लग गई है।
हालांकि पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि की अनुपलब्धता के कारण सरकार को इस काम में मुश्किल पैदा हो रही है। उद्योग सचिव पी. सी. शर्मा ने कहा, ‘पहाड़ी इलाकों में हमारे पास सिर्फ 30 से 60 एकड़ ऐसी भूमि है जहां उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं।’
भूमि की किल्लत का मुकाबला करने के लिए राज्य सरकार उन सभी पहाड़ी इलाकों की एक डायरेक्टरी तैयार कर रही है जहां औद्योगिक इकाइयां स्थापित की जा सकती हैं। इस कार्य के लिए सरकार एक मददगार के तौर पर काम करने को तैयार है।
शर्मा ने कहा, ‘यदि कोई उद्योगपति इकाई स्थापित करना चाहते हैं तो वह किसान से सीधे तौर पर बातचीत कर सकता है। हम इसमें एक मददगार की भूमिका निभा सकते हैं।’ इसके अलावा सरकार ईको-टूरिज्म, एडवेंचर स्पोट्र्स और होटलों एवं अन्य क्षेत्रों में भी नए उद्यमियों के लिए संभावनाएं तलाश रही है।
इस उद्देश्य से मुख्य सचिव आई. के. पांडे ने राज्य के सभी 13 जिला अधिकारियों को पत्र भेजे हैं। नई पहाड़ी नीति के तहत राज्य सरकार छोटी इकाइयों को आकर्षित करने का प्रयास कर रही है। इस नीति में 10 वर्षों की अवधि के लिए पहाड़ी इलाकों में निवेश आकर्षित करने के लिए विभिन्न रियायतों के पैकेज की घोषणा की गई है।
इस साल 1 अप्रैल से अस्तित्व में आई नई औद्योगिक नीति में विभिन्न प्रोत्साहनों की पेशकश की गई है जिसके लिए दिशा-निर्देश पिछले महीने जारी किए जा चुके हैं। इन रियायतों में विद्युत दर में छूट और परिवहन सब्सिडी प्रमुख रूप से शामिल हैं।
हालांकि इस नई पहाड़ी नीति के तहत अभी तक एक भी इकाई स्थापित नहीं की गई है, लेकिन सरकार का मानना है कि पहाड़ी राज्य के लिए इस नीति का परिणाम शानदार रहेगा। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सरकार 350 करोड़ रुपये मूल्य के प्रस्ताव पहले ही हासिल कर चुकी है।
नई नीति के तहत राज्य के दूरस्थ और पहाड़ी इलाकों को रियायतों के लिए ए और बी समूह में विभाजित किया गया है। अब यहां 5 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली परियोजना को ‘मेगा परियोजना’ के तौर पर वर्गीकृत किया जाएगा। पहले 2003 की औद्योगिक नीति के तहत यह दर्जा उन परियोजनाओं को प्राप्त था जो 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश से स्थापित की जाती थीं।
निजी औद्योगिक एस्टेट की स्थापना के लिए अब भूमि की न्यूनतम जरूरत 30 एकड़ के बजाय 2 एकड़ होगी। इन औद्योगिक इलाकों को 50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता भी मुहैया कराई जाएगी। औद्योगिक प्लॉटों के लिए भूमि की बिक्री और लीज डीड में स्टांप डयूटी नहीं होगी।
निर्माण, संयंत्र और मशीनरी में निर्धारित पूंजी निवेश पर समूह ए में अधिकतम 30 लाख रुपये पर 25 फीसदी और समूह बी में अधिकतम 25 लाख रुपये पर 20 फीसदी की पूंजी सब्सिडी भी दी जाएगी। इसके अलावा मूल्यवर्धित कर (वैट) में भी 90 फीसदी तक की विशेष छूट दी जाएगी।
बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा दिए जाने वाले ऋणों पर योग्य उद्यमों के लिए ब्याज सब्सिडी भी उपलब्ध होगी। ऐसी आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहनों के साथ इन क्षेत्रों में अब बैंकों के पास औद्योगिक गतिविधियों के लिए वित्त मुहैया कराने के अच्छे अवसर मौजूद हैं।
जब इस बारे में अतिरिक्त निदेशक (इंडस्ट्रीज) सुधीर नौटियाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विभाग पर्वतीय इलाकों में निवेश आकर्षित करने के लिए विभाग कार्यशालाओं और उद्यमियों के साथ पारस्परिक संपर्क की एक शृंखला शुरू करेगा।