यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन (यूएसओ) फंड के जरिये उपलब्ध 58,764 करोड़ रुपये में अपनी हिस्सेदारी जताने के लिए दूरसंचार कंपनियों और उपग्रह संचार कंपनियों के बीच होड़ दिख रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने पिछले दिनों अपने एक संबोधन में पहली बार सरकार से चुनिंदा लक्षित समूहों के लिए स्मार्टफोन को कम कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए यूएसओ फंड का उपयोग करने का आग्रह किया। सरकार ने समावेशी संचार विकास के लिए 2003 में इस फंड की स्थापना की थी।
करीब 30 से 35 करोड़ 2जी उपयोगकर्ताओं को 4जी में स्थानांतरित होना अभी बाकी है और अधिक लागत इसकी राह में सबसे बड़ी बाधा है। लागत में एक नया मोबाइल फोन खरीदने की लागत शामिल है। रिलायंस जियो अपने 4जी ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए सब्सिडी वाले फोन के साथ ग्राहकों को सेवाएं दे रही है। दूसरी ओर इंडियन स्पेस एसोसिएशन (आईएसपीए) के तहत उपग्रह संचार कंपनियां सरकार को कुछ अलग करने का सुझाव दे रही हैं। उनका कहना है कि यूएसओ फंड का उपयोग उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाओं के विस्तार में किया जाना चाहिए।
सुनील मित्तल की कंपनी वनवेब ह्यूजेस के साथ आईएसपीए का सदस्य है। एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंग आईएसपीए का सदस्य नहीं है लेकिन वह उसी नीति पर जोर दे रही है। प्रमुख दूरसंचार कंपनियों ने यह कहते हुए उसका विरोध किया है कि यह सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने के सिद्धांत के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि यूएसओ फंड की स्थापना लोगों के योगदान से हुआ था और उन्होंने यह सोचकर योगदान किया था कि इस रकम का उपयोग ग्रामीण एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करने में किया जाएगा। दूरसंचार कंपनियां अपने सकल समायोजित राजस्व का 8 प्रतिशत लाइसेंस शुल्क के तौर पर भुगतान करती है जिसमें से 5 फीसदी रकम हर साल इस फंड को जाती है। ऐसे में दूरसंचार कंपनियों के राजस्व में से किए गए योगदान को उपग्रह संचार सेवा कंपनियों की मदद के लिए हस्तांतरित करने के लिए क्यों कहा जा रहा है जबकि उनका इस फंड में कोई योगदान नहीं है।
एक दूरसंचार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें उपग्रह संचार कंपनियों को क्यों सब्सिडी देनी चाहिए जो समान सेवा में हमारे साथ प्रतिस्पर्धा करती हैं। जबकि हम तो इस फंड के लिए भुगतान कर रहे हैं।’ दूरसंचार कंपनियों ने यह भी कहा कि इस तथ्य पर विचार करते हुए कि उपग्रह संचार कंपनियां विमानन कंपनियों, जहाजरानी कंपनियों और समृद्ध ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करती हैं। उनमें से कई ने तो स्टारलिंक की सेवाओं के लिए पहले से बुकिंग भी कर रखी है। उन्हें ग्रामीण ग्राहकों और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अधिक मार्जिन वाले अपने कारोबार से सब्सिडी देनी चाहिए।
आईएसपीए का कहना है कि सरकार का मुख्य उद्देश्य गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा जैसी सेवाओं से डिजिटल माध्यम से जोडऩा है। ऐसा यूएसओ फंड के उपयोग और ग्रामीण क्षेत्रों को उपग्रह सेवाओं के जरिये जोड़कर किया जा सकता है। इससे एक ओर ग्राहकों के लिए लागत में कमी आएगी तो दूसरी ओर उन्हें ऐसी सेवाएं मिल सकेंगी जो फिलहाल उपलबध नहीं हैं। स्टारलिंक ने भी राज्य सरकार और केंद्रशासित प्रदेशों से आग्रह किया है कि वे टर्मिनल की खरीदारी के लिए अपने फंड के अलावा यूएसओ फंड का भी उपयोग करें। इससे उन्हें स्कूलों, पुलिस स्टेशनों और स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्रांडबैंड सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। टर्मिनल में उपयोगकर्ता उपकरण और मासिक सेवा शुल्क के साथ 1 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है।
