भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने दूरसंचार उद्योग के लिए शुल्क दरों में बढ़ोतरी की सख्त जरूरत बताई । उनका मानना है कि दूरसंचार उद्योग को संकट से उबारने का यही एकमात्र तरीका है। मित्तल ने आज कंपनी के निवेशकों के साथ बातचीत में कहा, ‘हमने सीमित तौर पर अपनी ओर से प्रयास किए हैं। हमारा धैर्य अब जवाब दे रहा है लेकिन हर बार हम दूसरों से अलग नहीं जा सकते।’
उन्होंने कहा कि प्रति ग्राहक औसत आय चालू वित्त वर्ष के अंत तक 200 रुपये तक पहुंचनी चाहिए और गंभीर ग्राहकों के मामले में यह 300 रुपये होनी चाहिए। मित्तल ने कहा कि कंपनी ने न्यूनतम प्रीपेड प्लान का दाम 49 रुपये से बढ़ाकर 79 रुपये कर दिया है और आगे यह 99 रुपये हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन ऐसा हम कब करेंगे, यह मुझे नहीं पता। हम बाजार पर निर्भर हैं और हम अन्य कंपनियों पर सतर्क नजर रख रहे हैं।’
इससे पहले दिसंबर 2019 में तीनों दूरसंचार कंपनियों ने शुल्क दरों में करीब 10 फीसदी का इजाफा किया था। दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के बारे में मित्तल ने अपने रुख को दोहराते हुए कहा कि क्षेत्र में कम से कम तीन कंपनियां होनी चाहिए, भले ही तीसरी अन्य से थोड़ी कमजोर हो। भारती एयरटेल के निदेशक मंडल ने एक दिन पहले ही कंपनी को 21,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस रकम का उपयोग 2021-22 में समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) देनदारियों को चुकाने में किया जाएगा।
पूंजी जुटाने की योजना ने विश्लेषकों को चकित किया है। मोतीलाल ओसवाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘पूंजी जुटाने की योजना थोड़ी हैरान करने वाली है क्योंकि कंपनी प्रबंधन ने पिछले कुछ समय में कहा था कि कंपनी की तरलता की स्थिति और नकद प्रवाह अच्छा है। इससे संकेत मिलता है कि कंपनी को अतिरिक्त पूंजी की जरूरत नहीं है।’ प्रबंधन ने सालाना अनुमान के साथ पूंजीगत परिदृश्य का स्पष्टï खाका पेश किया था। वित्त वर्ष 2016 में कंपनी प्रबंधन ने तीन साल के लिए ‘प्रोजेक्ट लीप’ नाम से पूंजीगत व्यय की योजना की घोषणा की थी, जिसमें पूंजीगत व्यय योजना का विस्तृत खाका पेश किया गया था।
मित्तल ने कहा, ‘हमारे ऊपर काफी ज्यादा कर्ज है और इनमें से ज्यादातर एजीआर बकाये की वजह से है।’ जून तिमाही में कंपनी का कर्ज 7.5 फीसदी बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपये हो गया। दूरसंचार कंपनियों पर शुल्क के मसले पर उन्होंने कहा कि प्रति 100 रुपये की आय पर 35 रुपये विभिन्न शुल्क मदों में खर्च होते हैं। हम आशा करते हैं कि यदि हम अपनी ओर से कदम बढ़ाएं तो सरकार भी उद्योग की वास्तविक मांगों पर विचार कर सकती है।