ऑनलाइन फर्नीचर और होम डेकोर स्टोर अर्बन लैडर को वित्तीय संकट की वजह से पिछले दो वर्षों से संघर्ष का सामना करना पड़ रहा था। विश्लेषकों और उद्योग के जानकारों के अनुसार कोरोनावायरस महामारी ने कंपनी की वित्तीय चिंताएं बढ़ा दीं और इस वजह से उसे रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) की रिटेल इकाई के हाथों बिकने के लिए बाध्य होना पड़ा।
रिलायंस रिटेल वेंचर्स ने इस सप्ताह 182.12 करोड़ रुपये में अर्बन लैडर में 96 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है।
बेंगलूरु स्थित इस कंपनी ने कई प्रमुख निवेशकों से करीब 857 करोड़ रुपये जुटाए थे जिनमें सिकोइया, सैफ पार्टनर्स, और टाटा संस चेयरमैन (सेवामुक्त) रतन टाटा भी शामिल हैं। दो साल पहले फंडिंग के आंतरिक राउंड के बाद भी अर्बन लैडर पर्याप्त पूंजी नहीं जुटा सकी थी।
कंपनी में इन घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘कंपनी ने पिछले साल के शुरू में अपने करीब 40 प्रतिशत कर्मचारी निकाल दिए थे। कंपनी की कुल बिक्री में गिरावट आ गई थी। उसने अपने कई वर्टिकलों का व्यवसाय बंद कर दिया। महामारी से व्यवसाय पर और ज्यादा प्रभाव पड़ा जिससे उसे रिलायंस के हाथों अपना व्यवसाय काफी कम मूल्यांकन पर बेचने के लिए बाध्य होना पड़ा है।’
वर्ष 2018 में अर्बन लैडर का मूल्यांकन 1,200 करोड़ रुपये था जो 2019 में घटकर 750 करोड़ रुपये के आसपास रह गया। वित्त वर्ष 2019 में उसका ऑडिटेड कारोबार 434 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2018 में 151.22 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2017 में 50.61 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2019 में कंपनी ने 49.41 करोड़ रुपये का शुद्घ लाभ दर्ज किया, लेकिन उससे पूर्ववर्ती वर्षों में कंपनी को 118.66 करोड़ रुपये और 457.97 करोड़ रुपये के शुद्घ नुकसान का सामना करना पड़ा था।
प्रौद्योगिकी फर्म टेकलेगिस एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर सलमान वारिस ने कहा, ‘पूंजी किल्लत से कंपनी का परिचालन एवं विकास प्रभावित हुआ है। नया सौदा कंपनी के मूल्यांकन में बड़ी कमी का प्रतीक है।’
वर्ष 2012 में अर्बन लैडर की स्थापना आईआईटी छात्रों आशिष गोयल और राजीव श्रीवास्तव द्वारा मिलकर की गई थी। कंपनी ने होम फर्नीचर और डेकोर उत्पादों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का परिचालन किया और उसकी कई शहरों में रिटेल स्टोरों की शृंखला भी थी। हालांकि कंपनी को पिछले कुछ वर्षों से संघर्ष का सामना करना पड़ रहा था जिससे ई-फर्नीचर बाजार के लिए हालात कठिन हो गए।
नकदी किल्लत से जूझ रही अर्बन लैडर को पिछले साल न सिर्फ सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी बल्कि उसके सह-संस्थापक राजीव श्रीवास्तव ने भी इस्तीफा दे दिया था। पिछले साल अजीत जोशी ने भी अध्यक्ष और मुख्य परिचालन अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया था।
