ब्रिटेन की अल्ट्रा मोटर कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी अल्ट्रा मोटर इंडिया (यूएमआई) की योजना लिथियम–ईयॉन बैटरी वाली हल्की इलेक्ट्रिक बाइक (ई–बाइक) एक साल के भीतर पेश करने की है। गौरतलब है कि इस साल पहले ही कंपनी पेट्रोल रहित दो इलेक्ट्रि दोपहिया वाहनों के साथ बाजार में उतर चुकी है।
इलेक्ट्रिक वाहनों वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी अमेरिका में लिथियम बैटरी से चलने वाली कम गति की ई–बाइक 2 हजार डॉलर में बेच रही है।
यूएमआई के मार्केटिंग निदेशक देबा घोषाल का कहना है, ‘हमारे पास तकनीक है और अगर अमेरिकी मॉडल जो साइकिल की तरह दिखता है, उसे यहां स्कूटर की तरह पेश किया जाएगा तो उसकी कीमत 30 से 40 प्रतिशत बढ़ जाएगी। भारतीय बाजार अभी इतने महंगे इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन के लिए तैयार
नहीं है।’
लिथियम बैटरियां लेड–एसिड बैटरी के मुकाबले चार गुना महंगी होती हैं और वे अधिक चलती भी हैं। इतना ही नहीं, इससे वाहन को अधिक शक्ति भी मिलती है।
यूएमआई के दो मॉडलों मैराथन और वेलॉसिटी को लेड–एसिड बैटरियों से चलने वाले मॉडल के रूप में इस साल पेश किया गया है। इन बैटरियों को दो साल या 20 हजार किलोमीटर चलने के बाद बदलना पड़ता है। चार बैटरियों वाली इस बैटरी इकाई को बदलने में लगभग 6 हजार रुपये का खर्च आता है।
घोषाल का कहना है, ‘हम लिथियम इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वैकल्पिक कारोबार योजना विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। हम वाहन और बैटरी को अलग–अलग बेच सकते हैं, जिसमें बैटरी को आकर्षित कीमतों के पैकेज में मुहैया कराया जाएगा।’ यूएमआई इसके लिए निजी फाइनैंसिंग कंपनियों के साथ बातचीत कर सकती है।
इन मॉडलों में से मैराथन कम गति वाला ई–स्कूटर है जो एक बार चार्ज करने पर 25 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर 100 किलोमीटर तक चल सकता है। इसकी कीमत 32,146 रुपये है, जो पेट्रोल स्कूटर के मुकाबले 20 प्रतिशत कम है।
वेलोसिटी तेज गति वाला स्कूटर है जो 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकता है और इसकी कीमत 36,826 रुपये एक्स शोरूम, कोलकाता है।
यूएमआई बढ़िया डीलर नेटवर्क के साथ वित्त वर्ष 2008 में देश में 22 हजार वाहन बेच चुकी है। कंपनी की योजना अपने डीलरों की संख्या इस वित्त
वर्ष में 150 से बढ़ाकर 250 करने की है।
कंपनी वित्त वर्ष 2009 के लिए 95 करोड़ रुपये का कुल कारोबार करना चाहती है और इसे बढ़ाकर 2009-10 तक 380 करोड़ करना चाहती है। कंपनी की योजना अगले तीन वर्षों में उत्पाद विकास, बिक्री, मार्केटिंग और वितरण
पर 140 करोड़ रुपये खर्च करने
की है।