भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने शुक्रवार को बियर की बिक्री और आपूर्ति में गुटबंदी करने के लिए यूनाइटेड ब्रुअरीज, काल्र्सबर्ग इंडिया, ऑल इंडिया ब्रुअर्स एसोसिएशन (एआईबीए) और अन्य 11 कंपनियों पर 873 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
व्यापक जांच के आदेश दिए जाने के करीब चार बाद जारी किए गए इस 231 पृष्ठ के आदेश में सीसीआई ने कंपनियों, संगठन और लोगों को भविष्य में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रणालियों से बचने का भी निर्देश दिया है। इस संबंध में निर्णायक आदेश यूनाइटेड बु्रअरीज लिमिटेड (यूबीएल), सैबिमलर इंडिया (अब नाम बदलकर एन्हेयूजर बु्रश इनबेव इंडिया लिमिटेड हो गया है), और काल्र्सबर्ग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (सीआईपीएल) – के खिलाफ जारी किया गया है। नियामक ने एबी इनबेव पर कोई जुर्माना नहीं लगाया है, जबकि कई अन्य पर कम जुर्माना लगाया गया है।
एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन कंपनियों और अन्य को भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बियर की बिक्री एवं आपूर्ति में गुटबंदी करने का आरोपी पाया गया है। इसमें एआईबीए के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किए जाने का भी आरोप है। एआईबीए पर इस तरह की गुटबंदी को आसान बनाने में सक्रिय तौर पर शामिल होने का आरोप लगाया गया था और सीसीआई ने इसे प्रतिस्पर्धी कानून का उल्लंघन भी माना है। यूबीएल और काल्र्सबर्ग इंडिया पर जुर्माना करीब 752 करोड़ रुपये और 121 करोड़ रुपये है। नियामक द्वारा एआईबीए पर भी 6.25 लाख रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘सीसीआई ने यूबीएल और सीआईपीएल को करीब 750 करोड़ रुपये और 120 करोड़ रुपये का जुर्माना चुकाने का निर्देश दिया है।’
व्यावसायिक गुटबंदी की अवधि 2009 से कम से कम 10 अक्टूबर, 2018 तक मानी गई थी और सीआईपीएल 2012 से इसमें शामिल हुई और एआईबीए ने 2013 से ऐसी गुटबंदी को आसान बनाने के लिए प्लेटफॉर्म के तौर पर कार्य किया।
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि 10 अक्टूबर, 2018 को महानिदेशक (डीजी) ने बियर कंपनियों के परिसरों में तलाशी अभियान चलाया था।
तलाशी और छापेमारी के दौरान डीजी द्वारा जुटाए गए इन कंपनियों के बीच नियमित बातचीत के प्रमाण के आधार पर सीसीआई ने यह निष्कर्ष निकाला कि ये तीनों कंपनियां कीमत को लेकर तालमेल और गुटबंदी बनाने में जुटी हुई थीं, जो प्रतिस्पर्धा नियमों का उल्लंघन है।
विभिन्न क्षेत्रों की अनुचित व्यावसायिक कार्य प्रणालियों पर नजर रखने वाले सीसीआई ने अक्टूबर 2017 में अपनी जांच इकाई डीजी के जरिये इस संबंध में व्यापक जांच का आदेश दिया था।
क्राउन बियर्स इंडिया और सैबमिलर इंडिया द्वारा जुलाई 2017 में यूबीएल, काल्र्सबर्ग इंडिया और एआईबीए के खिलाफ प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 46 के तहत आवेदन दर्ज कराए जाने के बाद नियामक द्वारा इस मामले को संज्ञान में लिया गया था। धारा 46 कम जुर्माना प्रावधानों से संबंधित है।
कंपनियों को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और पुडुचेरी में कीमत गुटबंदी करने का आरोपी पाया गया था।
