वाहन बाजार की खराब सेहत का असर तमाम कंपनियों के उत्पादन और निवेश योजनाओं पर भी पड़ रहा है।
कारों और दोपहिया वाहनों की मांग में कमी और बैंकों की ओर से ऋण की शर्तों में आई सख्ती की वजह से यह बाजार बेजार है। इसी वजह से दोपहिया बनाने वाली नामी कंपनी टीवीएस मोटर्स ने अपने उत्पादन और निवेश में भी कटौती करने का फैसला किया है।
कंपनी ने अपने निवेश की योजना में कम से कम 20 फीसद की कटौती करने का निर्णय कर लिया है। कुछ समय पहले ऐसा ही फैसला बजाज ऑटो ने भी किया था। उसने भी दोपहिया की कम होती मांग को देखते हुए त्योहारी सीजन खत्म होने के बाद उत्पादन कम करने की बात कही है। बजाज ऑटो उत्पादन में कटौती नवंबर के पहले हफ्ते में करेगी।
टीवीएस मोटर्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक वेणु श्रीनिवासन ने बताया, ‘विदेशों में भी मांग कम होने की वजह से हमने निर्यात बाजार में भी गिरावट का चलन देखा है। इसके अलावा मांग मंद पड़ने की वजह से घरेलू बिक्री के आंकड़े भी घट गए हैं। इसलिए हमने चालू वर्ष के दौरान निवेश में तकरीबन 20 फीसद कटौती करने का फैसला किया है।’
हालांकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान कंपनी की बिक्री में 6 फीसद की बढ़ोतरी देखी गई और इस दौरान टीवीएस के 6.10 लाख वाहन बिक गए। लेकिन इस आंकड़े में सबसे ज्यादा योगदान सितंबर महीने का ही है, जब कंपनी की बिक्री में एकाएक 20 फीसद का इजाफा हो गया था। इसके उलट अप्रैल से अगस्त के बीच कंपनी की बिक्री पिछले साल के मुकाबले महज 2.6 फीसद बढ़ सकी थी।
श्रीनिवासन ने बताया कि कंपनी चालू वित्त वर्ष के दौरान पूंजी व्यय के तौर पर कुल 70 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसके उलट कंपनी ने पिछले साल इसी मद में लगभग 150 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
उन्होंने कहा, ‘मार्जिन को बढ़ाना इस समय किसी भी कंपनी के लिए चुनौती नहीं रह गई है। चुनौती तो मार्जिन को बरकरार रखना है। उद्योग के लिए यह बेहद जोखिम और दिक्कत भरा दौर है।’ बाजार के जानकार मानते हैं कि रेपो दर और सीआरआर में कटौती के रिजर्व बैंक के फैसलों से भी ऑटो उद्योग को कोई फायदा नहीं होगा।
बजाज ऑटो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हमें नहीं पता कि रिजर्व बैंक के ऐलान के बाद बैंक क्या सोच रहे हैं। वाहन ऋण के लिए ब्याज की दरें घटाए जाने की उम्मीद तो न के बराबर है क्योंकि दरों में कटौती रिजर्व बैंक के अस्थायी कदम हैं।’