सुजलॉन के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक तुलसी तांती का कहना है कि इस वैश्विक महामारी कोविड-19 और देशों के कुछ हिस्सों में एक बार फिर लॉकडाउन होने के डर ने चालू वर्ष के दौरान लाभ की भविष्यवाणी करना मुश्किल बना दिया है। कंपनी के चेयरमैन को लगता है कि मौजूदा साल के दौरान नजर आए कोविड-19 के आर्थिक असर से देश को पूरी तरह उबरने में दो साल लग जाएंगे। इस साल की शुरुआत में सुजलॉन ने 12,414 करोड़ रुपये के कुल ऋण पुनर्गठन का दूसरा दौर पूरा किया था। कंपनी के प्रवर्तकों ने भी इस योजना में हिस्सा लेते हुए कंपनी में इक्विटी के रूप में लगभग 392 करोड़ रुपये का निवेश किया है। तांती ने कहा कि कंपनी को बाहर से किसी और इक्विटी निवेशक की तलाश नहीं है। सुजलॉन के संस्थापक चेयरमैन और प्रबंध निदेशक तुलसी तांती ने कहा कि फिलहाल हम नए इक्विटी निवेशक की खोज नहीं कर रहे हैं। हमने हाल ही में अपने और अपने हितधारकों की ओर से इक्विटी डाली है।
जुलाई में कंपनी ने कहा था कि उसने अपना ऋण पुनर्गठन पूरा कर लिया है। यह ऋण पुनर्गठन करने से कंपनी को चालू वित्त वर्ष के दौरान लाभ प्राप्त होने की उम्मीद भी जगी है। हालांकि तांती का कहना है कि इस वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से पैदा हुए हालात के कारण लाभ की भविष्यवाणी करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि इस बात का पूरी तरह से अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है कि कोविड की कैसी परिस्थितियां सामने आएंगी। हम इसे सकारात्मक रूप से देख रहे हैं, लेकिन यह बात बहुत ज्यादा स्पष्ट नहीं है कि आगे कैसा रहेगा। वित्त वर्ष 2020 में सुजलॉन ने 2,692 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया है।
तांती ने कहा कि वर्तमान में कंपनी 50 से 60 फीसदी क्षमता पर परिचालन कर रही है। इसमें जनवरी के बाद से सुधार की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हमारा और इस क्षेत्र का मौजूदा क्षमता इस्तेमाल का स्तर 50 से 60 फीसदी है। इसके कई कारण हैं जैसे स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देना और अपने ग्राहकों के लिए उपयोगिता भुगतान के मसलों जैसी अन्य दिक्कतें। उन्होंने कहा कि हम इस बात की उम्मीद कर रहे हैं कि जनवरी के बाद से सुधार में गति आएगी। हालांकि 100 फीसदी सुधार तभी संभव होगा, जब टीका आ जाए और मनोवैज्ञानिक दबाव खत्म हो जाए। अपने ऋण पुनर्गठन करने की घोषणा में कंपनी ने यह भी कहा है कि वह परिसंपित्तयां बेचकर आगे और पैसा जुटाने की योजना बना रही है। इस तरह की बिक्री से करीब 950 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान है। तांती को उम्मीद है कि इनमें से कुछ परिसंपत्तियां अगले 18 महीनों में बेच दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात बिक्री के लिए बहुत ज्यादा सहायक नहीं है, लेकिन खरीदारों की ओर से अच्छी दिलचस्पी दिखाई जा रही है, पर बेहतर दाम पाने के लिए हम शायद अगले वित्त वर्ष में बिक्री का लक्ष्य रखें।
तांती ने कहा कि हम (भारतीय अर्थव्यवस्था) एक हाथी की तरह हैं। यह बहुत बड़ी और जटिल है। इसलिए इसके बदलाव में समय लगता है। इसे स्थिर होने में 24 महीने लगेंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने देश की अर्थव्यवस्था को किस प्रकार प्रबंधित करते हैं, यह बात आज किसी विशेष कंपनी की तुलना में ज्यादा महत्त्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण है। मेरे लिए पहले हमेशा राष्ट्रहित ही है।
