राष्ट्रीय मुनाफा-रोधी प्राधिकरण (एनएए) ने प्रॉक्टर ऐंड गैंबल (पीऐंडजी) समूह की तीन सहायक कंपनियों को 241 करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी का दोषी पाया है। इन कंपनियों ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी का उपभोक्ताओं को लाभ नहीं दिया।
प्रॉक्टर ऐंड गैंबल होम प्रॉडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने 181 करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी की। वहीं प्रॉक्टर ऐंड गैंबल हाइजीन ऐंड हेल्थकेयर लिमिटेड ने दो करोड़ रुपये और जिलेट इंडिया लिमिटेड ने 58 करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी की। हालांकि प्राधिकरण इस जुर्माने को अलग रखा है। केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि प्राधिकरण ने सहायक कंपनियों को मुनाफाखोरी की आधी रकम केंद्रीय उपभोक्ता कल्याण कोष और शेष आधी रकम 33 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के उपभोक्ता कल्याण कोष में 18 फीसदी ब्याज के साथ जमा कराने को कहा है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने मुनाफारोधी महानिदेशालय (डीजीएपी) को मुनाफे की राशि की गणना करने के लिए जांच करने और रिपोर्ट देने की मंजूरी दी। प्राधिकरण ने पाया कि 15 नवंबर, 2017 से जीएसटी की दर 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी की गई थी। इसने पाया कि जब 14 और 15 नवंबर की रात जीएसटी में कमी की अधिसूचना जारी की गई, उसी रात पीऐंडजी ने कीमतें बढ़ा दीं।
एनएए ने साफ किया कि जीएसटी लागू करते समय कीमतें नहीं बढ़ाने का पीऐंडजी का फैसला उसका कारोबारी फैसला था। अगर उनकी लागत में कोई बढ़ोतरी हुई तो उन्हें 1 जुलाई 2017 से 14 नवंबर, 2017 तक कीमतें बढ़ानी चाहिए थी।
