उपभोक्ताओं की मजबूत मांग और जिंसों की उच्च कीमतों का फायदा उठाते हुए भारतीय कंपनियां अगले 12 से 18 महीनों में एबिटा में खासी बढ़ोतरी दर्ज करेंगी। यह कहना है रेटिंग एजेंसी मूडीज का।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ते सरकारी खर्च से स्टील व सीमेंट की मांग को सहारा मिलेगा। साथ ही बढ़ते उपभोग से देसी विनिर्माण में तेजी आएगी और फंडिंग की उदार स्थिति से नए निवेश को समर्थन मिलेगा।
आपूर्ति शृंखला के अवरोध का असर नरम होगा क्योंकि अगले कुछ महीनों में सेमीकंडक्टर की आपूर्ति में तेजी आएगी। कोरोनावायरस से बचने के लिए हो रही प्रगति से आर्थिक गतिविधियों में स्थायी सुधार को सहारा मिलेगा। भारत में आर्थिक रफ्तार मजबूती से पटरी पर आएगी। एजेंसी का मानना है कि वित्त वर्ष 22 में जीडीपी की रफ्तार 9.3 फीसदी होगी जबकि वित्त वर्ष 23 में 7.9 फीसदी।
आर्थिक सेंंटिमेंट उत्साहजनक है, लेकिन रेटिंग एजेंसी ने सतर्कता की बात नहींं कही है। अगर संक्रमण की नई लहर आती है तो फिर से लॉकडाउन हो सकता है और उपभोक्ता का सेंटिमेंट बिगड़ सकता है। ऐसे परिदृश्य में आर्थिक गतिविधियां नरम पड़ेंगी और उपभोक्ता मांग पर असर पड़ेगा। जिसका असर एबिटा की रफ्तार पड़ेगा और भारतीय कंपनियों के लिए यह अगले 12-18 महीने में 15-20 फीसदी कम रह सकता है।
इसके अतिरिक्त सरकारी खर्च में देरी, ऊर्जा की किल्लत आदि से औद्योगिक उत्पादन कम होने या जिंसों की नरम कीमत से कंपनियों की आय पर चोट पड़ सकती है।
भारत में अभी कम ब्याज है, जिससे फंडिंग की लागत घटेगी और नए पूंजी निवेश को सहारा मिलेगा क्योंकि मांग बढ़ेगी। हालांकि बढ़ती महंगाई से ब्याज दरोंं में उम्मीद से ज्यादा तेज गति से इजाफा होगा, जो कारोबारी निवेश पर असर डालेगा।
