घरेलू बाजार में भले ही छोटे व मझोले उद्योग के कारोबार में गिरावट आ गयी है, लेकिन इसके निर्यात में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी बढ़ोतरी की संभावना जाहिर की जा रही है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एफआईएसएमई) का अनुमान है कि दूसरी तिमाही के दौरान भी पहली तिमाही की तरह ही निर्यात में इजाफा होगा। पहली तिमाही के दौरान लघु व मझोले उद्योग के निर्यात में 31 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
एफआईएसएमई के पदाधिकारियों के मुताबिक निर्यात में बढ़ोतरी की गुंजाइश मुख्य रूप से डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्यों में आयी कमी के कारण है। पिछले दो माह के दौरान रुपये का मूल्य गिरकर प्रति डॉलर 44 रुपये के स्तर पर आ गया। जबकि निर्यात के लिए इन उद्यमियों ने जब ऑर्डर लिए थे तब रुपये का मूल्य 41-42 रुपये प्रति डॉलर था।
एफआईएसएमई के महासचिव अनिल भारद्वाज कहते हैं, ‘रुपये के मूल्यों में गिरावट जारी रही या यह अपने स्तर पर कायम रहा तो निश्चित रूप से लघु व मझोले उद्योग के निर्यात में बढ़ोतरी होगी। यह अलग बात है कि बढ़ोतरी 30 फीसदी के स्तर से कम होगी।’
उद्यमियों का यह भी कहना है कि ऑटोमोबाइल व टेक्सटाइल जैसे उद्योगों के कारोबार में चालू तिमाही के दौरान घरेलू बाजार में गिरावट दर्ज की गयी। इन उद्योगों से जुड़े उद्यमियों ने ऐसे में अपने सामान को विदेशों में निकालने की पूरी कोशिश की जिसमें वे सफल भी रहे हैं।
हालांकि ऑटोमोबाइल उद्यमियों का कहना है कि चीन से मिल रही भारी प्रतिस्पर्धा के कारण उनके निर्यात में पहले के मुकाबले कमी आ गयी है। लेकिन रुपये के मूल्य में कमी से उन्हें कुछ लाभ हो सकता है। भारत के लघु व मझोले उद्यमी मुख्य रूप से यूरोप व अमेरिकी देशों में निर्यात करते हैं। इन दिनों लैटिन अमेरिकी देशों के बाजार में भी इनकी निर्यात मांग में बढ़ोतरी हो रही है।
एफआईएसएमई के पदाधिकारियों का यह भी कहना है कि इन दिनों टेक्सटाइल व निर्माण से जुड़े लघु व मझोले उद्यमियों के कारोबार में काफी गिरावट आयी है। लेकिन इनके कारोबार के बंद होने की कोई आशंका नहीं है। आने वाले समय में स्थिति में थोड़ी भी सुधार होने पर इनकी गाड़ी फिर से पटरी पर लौट आएगी।
टेक्सटाइल उद्योग की हालत घरेलू बाजार में कपास की कीमत में बढ़ोतरी तो निर्माण क्षेत्र में बैंक द्वारा ब्याज की दरों में बढ़ोतरी के कारण कारोबार प्रभावित हुआ है। नकदी के प्रवाह को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक के उपायों से भी लघु व मझोले उद्योग के पूरे बाजार में गिरावट दर्ज की गयी है।